गीता का सार

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कर्म मुझे बांध नहीं सकता क्यों कि मेरी कर्म के फल में आसक्ति नहीं है। तू युध्द भी कर और हर समय में मेरा स्मरण भी कर मनुष्य अपनी वासना के अनुसार ही अगला जन्म पाता है। यह संसार हर छड़ बदल रहा है और बदलने वाली वस्तु असत्य होती है

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