गीता सार गीता सार By admin - June 8, 2021 0 349 Share Facebook Twitter Google+ Pinterest WhatsApp मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है। मनुषय को अपने विश्वास में वृद्धि करनी चाहिए। विश्वास के उत्पन्न होने से आत्मनिर्भरता का अनुभाव स्वत: ही हो जाता है।