कोरोना पर सियासत नहीं सहयोग जरूरी

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भारत इस वत संकट में है। कोरोना की दूसरी लहर जानलेवा सिद्ध हो रही है। शहर से लेकर गांव तक कोई भी महफूज नहीं है। पहले यह महामारी शहर में अधिक फैली थी व गांवों में इसका प्रकोप कम था, लेकिन अब गांवों में तेजी से नए केस आ रहे हैं, मौतें हो रही हैं। गांवों में कोरोना की जांच, इलाज, ऑक्सीजन, रेडमेसिविर जैसी जीवन रक्षक दवाएं आदि का उचित प्रबंध नहीं है। शहरों के सरकारी व निजी अस्पतालों में पहले से ही बेड नहीं हैं, ऐसे में नित बढ़ते नए केस के इलाज की समस्या गहराई हुई है। वैक्सीन लगने के बाद भी लोग पॉजिटिव हो रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना से ठीक हुए डायबिटिक लोगों में लैक फंगस का अटैक देखने को मिल रहा है, जिसमें मरीजों की आंख तक निकालनी पड़ रही है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद को चेतावनी जारी करनी पड़ी है कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों के लिए यह लैक फंगस जानलेवा साबित हो रहा है। क्यूकोरमाइकोसिस वातावरण में मौजूद रोगाणुओं से लडऩे की क्षमता को कमजोर कर देता है। सही समय पर इलाज नहीं मिलने से मरीजों की जान तक जा सकती है। यह बीमारी डायबिटीज और क्रॉनिकल बीमारी वालों के लिए खतरनाक है।

देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग श्मशानों में लाश जलाने के लिए भारी भीड़ है, कहीं कहीं जगह नहीं है, कहीं कहीं लाशों को गंगा में प्रवाहित करने की खबरें आ रही है। हर कोई अपनी सलामती की दुआ मांग रहा है। इन विकट परिस्थिति में भी केंद्र व राज्य की सरकारों की टकराहटए सत्ताधारी दलों की राजनीति शर्मसार करने वाली है। यह समय न आरोप प्रत्यारोप का है, न ही जिम्मेदारी को दूसरे के कंधे पर डालने का है और न ही संवैधानिक दायित्वों से मुंह मोडऩे का है। लोग अपनों को, अपने परिचितों को खो रहे हैं, और बेबसी ऐसी है कि वे कुछ कर नहीं पा रहे हैं, इसलिए लगातार उनमें सरकार के प्रति, अस्पताल प्रबंधन के प्रति असंतोष पनप रहा है। यह बात सभी सत्ताधारी दलों को भलिभांति समझनी चाहिए। महामारी जैसे कठिन हालात में भाजपा के प्रवता संबित पात्रा और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दिल्ली सरकार व केंद्र सरकार पर आक्षेप मढऩा शोभनीय नहीं है।

चूंकि दिल्ली सरकार में जब से नए कानून द्वारा उपराज्यपाल को शासन प्रमुख सरीखी शति दी गई है, तब से दिल्ली की हालत नियंत्रण करने की जिम्मेदारी उपराज्यपाल की ज्यादा हो गई है। इससे पहले ममता बनर्जी, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की ओर से केंद्र सरकार पर आरोप लगाए गए हैं। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तो सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा, जवाब में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हेमंत को तीखी नसीहत दी। दरअसल, हेल्थ इमरजेंसी जैसी स्थिति में सरकारों व दलों से जनता को आरोपो-प्रत्यारोपों की कतई उम्मीद नहीं होती है। ऐसे बुरे वत में जनता अपनी सरकार को लोगों को राहत पहुंचाते हुए देखना चाहती है। कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया व इजराइल के दावों के आलोक में भारत सरकार को अपने वैज्ञानिकों की टीम से कोविड की वस्तुस्थिति व उदगम की जांच करवानी चाहिए। केवल वैश्विक एजेंसियों के भरोसे नहीं रहना चाहिए, क्योंकि अभी भारत अधिक प्रभावित हो रहा है। कोरोना पर कोई दल या सरकार सियासत न करे, बस देश संकट से कैसे उबरेगाए, इस बारे में एशन प्लान पर सोचे व उसे अमल में लाए। अभी जान बचाना ज्यादा जरूरी है।

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