देश के अंदर जिस तीव्र गति से कोरोना अपने पैर पसार रहा है, उससे चिंता करना लाजिम है। देश के कई राज्य इसकी चपेट में हैं और अभी तक इसका पुता इलाज भी नहीं तलाश कर पाए। यदि यही स्थिति रही तो देश फिर से लॉकडाउन का दंश झेल सकता है, विगत वर्ष लगे लगभग पांच माह के लॉकडाउन के बाद देश की आर्थिकी काफी प्रभावित हुई थी, परिणामस्वरूप देश के लगाग तीन करोड़ युवाओं को नौकरी से हाथ धोना पड़ा था यही नहीं, महाराष्ट और दिल्ली से प्रवासियों ने पैदल चलकर घर पहुंचने में जो कष्ट उठाए वह अस्मरणीय है। संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र जहां पहले पर है वहीं देश के लगभग कई राज्य इसकी चपेट में हैं। यह स्थिति तब जब केंद्र के साथ राज्य सरकारें कोविड वैक्सीनेशन का कार्य युद्ध स्तर चला रही हैं। इसके बावजूद संक्रमितों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। जो राज्य संक्रमण से प्रभावित हैं, वहां वैक्सीनेशन के साथ टेस्टिंग भी हो रही है।
सबसे हैरत इस समाचार से हुई कि पटना में वैक्शीनेशन की दोनों डोज लेने के बाद भी 185 हेल्थ वकर्स पॉजिटिव मिले, इस पर स्वास्थ्य विभाग का दो टूक यह कहना कि वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना संक्रमण की गारंटी नहीं। विभागीय अधिकारियों का यह कथन उन लोगों भ्रमित करेगा जो अभी तक वैक्सीनेशन को लेकर पूर्ण रूप से आश्वस्त नहीं है। यदि कोरोना संक्रमण के फैलने की रफ्तार यूं बनी रही तो सरकारों के पास लॉकडाउन के अलावा कोई चारा नहीं रहेगा। ऐसी स्थिति छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में है जहां 9 अप्रैल की शाम 6 बजे से 19 अप्रैल तक टोटल लॉकडाउन का ऐलान हो चुका है। सरकार ने ये फैसला राजधानी में एक दिन में 2 हजार 821 मामले मिलने के बाद किया। उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं, जिसकी स्थिति को देखते हुए प्रदेश के हाईकोर्ट ने सरकार को रात्रि में कर्फ्यू लगाने पर मंथन करने का निर्देश दिया है। यहां आठवी तक के स्कूलों को तो सरकार पहले ही बंद कर चुकी है। यदि स्थिति विकराल रूप धारण करती है तो प्रदेश सरकार कुछ ठोस कदम उठा सकती है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्रा प्रदेश आदि राज्य कोरोना की चपेट में है।ताजा सक्रिय मामलों की संया 5 लाख से ऊपर पहुंच गई है।
मुश्किल यह है कि इस बार सरकारों के पास इससे निपटने के कदम उठाने का साहस भी कम है। पिछले वर्ष लगे लॉकडाउन ने देश और आम लोगों की ऐसी कमर तोड़ दी है कि अब अगर लॉकडाउन का कदम उठाया गया, तो देश भुखमरी के कगार पर पहुंच जाएगा। चिंताजनक बात यह भी है कि इस बार मामलों का प्रसार छोटे कस्बों में ज्यादा है। यानी देश के आम जन के सामने एक अजीब सी दुविधा पैदा हो गई है। दुविधा यह है कि भूख से मरें या कोरोना से! ऐसी खबर है कि सबसे ज्यादा पीडि़त राज्य महाराष्ट्र की सरकार पूरे राज्य में लॉकडाउन लगाने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ये बात सही कही है कि लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। लोग दिशा-निर्देशों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और इसकी वजह से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। लेकिन सवाल यह भी है कि अगर लॉकडाउन लागू हुआ, तो उस दौरान लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को सपोर्ट करने के लिए सरकारों के पास क्या तैयारी है? सरकार के सामने देश की जनता व देश की आर्थिक को बचाने की दोहरी चुनौती है जिसके लिए सरकार को काफी गहराई से मंथन करना होगा। बहुत ही सोच विचार के कदम उठाने होंगे। ऐसी स्थिति में देश के लोग जागरूक होकर कोविड नियमों का पालन करते हुए कोरोना को खत्म करने में सरकार की मदद करें।