पूरे विश्व में कोरोना महामारी 21 दिसम्बर 2021 तक

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हमारे धर्म ग्रन्थों में देवता और राक्षसों के बीच युद्ध का उल्लेख पढने को मिलता है। जिसकी प्रमाणिकता हर सौ साल बाद पूरे विश्व में होने वाली महामारी से सत्यापित होती है। राह, केतू राक्षस ग्रह और वृहस्पति, शनि देवता ग्रहों के मध्य हर सौ साल के उपरान्त युद्ध होता है। राह, केतू राक्षस ग्रह कठोर तपस्या करने के बाद माहशक्ति शिव से बड़े से बड़े वरदान मागकर अपनी शक्ति बढा लेते है। उसका दुरूपयोग देवताओं के साथ युद्ध करके देवताओं के राज-पाट और ऐश्वर्य को प्राप्त करके उसका स्वयं भोग करने के लिये युद्ध करते है। यह युद्ध हर सौ साल बाद ग्रहों की स्थिति के फलस्वरूप होता है। स्थिति ऐसी बन जाती है कि शनि का सबसे बड़ा शत्रु ग्रह केतू शनि से बारहवें घर में बैठकर पीट पीछे से शनि पर वार करता है।

पूरे विश्व की जनता का कारक शनि है इसलिये शनि के पीडित होने पर पूरे विश्व की जनता महामारी से पीडित हो जाती है। जिस विचित्र बीमारी की ना तो कोई लक्षण होते है ना ही कोई निश्चित समय होता है और ना ही कोई निश्चित दवाई होती है, ये बीमारी राहू, केतू ग्रहों की माया होती है जिस माया का राहू, केतू युद्ध में प्रयोग करते है। वर्तमान की महामारी से 102 वर्ष पहले स्पेनिश फ्लू नाम की बीमारी से पूरा विश्व प्रभावित हुआ। कराड़ों लोगों की मौत हुई। इस देवता-राक्षसों के युद्ध का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है, वर्तमान में मार्च 2019 से अप्रेल 2022 तक का कार्यकाल है। 29 अप्रैल 2022 को शनि ग्रह कुभ राशि में आकर मेष राशि में बैठे राहू को पूर्ण दृष्टि से देखकर उसे भरग कर देगा और इसी के साथ राहू, केतू का माया जाल खत्म हो जावेगा। पूरे विश्व से कोरोना महामारी का सफाया हो जावेगा।

वर्तमान में ओमिक्रोन वायरस का जन्म शनि ग्रह के 7 नवम्बर से 21 दिसम्बर 2022 तक वृष नवाश में रहने से और राहू ग्रह के वृष राशि में रहने से हुआ है। 21 दिसम्बर को शनि के मिथुन नवाश में जाते ही पूरे विश्व से ओमिक्रोन वायरस का सफाया हो जावेगा। इसके उपरांत कोरोना महामारी का शो खत्म हो जावेगा, क्योंकि 29 अप्रैल को शनि ग्रह. राहु, केतू को दृष्टि से भस्म कर देगें। इसके साथ माहमारी का समय समाप्त हो जायेगा। समस्त विश्व की जनता को इस ओमिक्रोन वायरस से भयभीत नहीं होना चाहिए। डरने की कोई आवश्यकता नहीं है। यह वायरस बहुत सूक्ष्म पॉवर का है. क्योंकि इसके उत्पत्ति राहू की छाया शनि के ऊपर पर पढ़ने से हुई है। इसलिये यह वायरस बहुत कमजोर है, इससे कोई मृत्यु नहीं होगी। इसका कोई बड़ा प्रभाव जनता के ऊपर देखने को नहीं मिलेगा। इसके सौ साल बाद ही दुवारा कोई महामारी देखने को मिलेगी। यही सत्य है।

रमेश चन्द्र चौहान
ज्योतिषाचार्य
ऋषिकेश

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