एक बुजुर्ग मेडिकल के काउंटर पर, मुझे मिलाकर बाकी ग्राहकों के जाने का इंतजार कर रहे थे। दुकानदार की उनको पहले सुनने की इच्छा के बावजूद उन्होंने आखिरी में मदद लेनी चाही। मुझे ये िदलचस्प लगा। जब मैंने फोन पर व्यस्त होने का दिखावा किया तब उन्होंने जल्दी से ‘एडल्ट डायपर’ मांगा। अजीब कारणों से मेडिकल स्टोर पर इस तरह की चीजें मांगना समाज में बेवजह की शर्मिंदगी से जोड़ा जाता है, ऐसा मैंने पश्चिमी देशों में नहीं देखा।
मूत्राशय पर नियंत्रण खो देने की सामान्य समस्या (यूरीनरी इन्कॉन्टीनेंस) बुजुर्गावस्था में हो सकती है। बच्चों में मूत्राशय पर नियंत्रण न कर पाने को हम सामान्य लेते हैं, लेकिन जैैसे-जैसे वे बड़े होते हैं, इसे शर्म की तरह देखने लगते हैं। ये एक कारण हो सकता है कि बुजुर्ग डायपर मांगने में असहज महसूस कर रहे थे। मैं चुपचाप उनके पास गया और पूछा, ‘क्या अमेरिका में आपका कोई है?’ उन्होंने कहा, ‘दोनों बेटे’ तब मैंने शांति से ‘Urivarx’ दवा का नाम लिखा और कहा कि यह मूत्रविज्ञान की हालिया महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
डॉक्टरी पर्चे के बिना ली जा सकने वाली मूत्राशय पर नियंत्रण की यह दवा पूरे अमेरिका में उपलब्ध है। मैं ये कहकर चला गया कि ‘फिर भी आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।’ शोध बताते हैं कि ज्यों-ज्यों हम बुुजुर्ग होते जाते हैं, हॉर्मोन्स में बदलाव के कारण मूत्राशय के आसपास की मांसपेशियां कमजोर होती जाती हैं। जब वे बहुत छोटी व कमजोर हो जाती हैं, तो मूत्राशय को बंद नहीं रख पाती, जिसके चलते पेशाब निकल जाती है।
इससे मुझे याद आया कि शानदार कॅरिअर की चाह रखने वाले युवाओं को भविष्य में हेल्थकेयर और तकनीक से संबंधित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूत है, यहां यह बताना प्रासंगिक है कि हेल्थकेयर हमेशा ही दवाओं से जुड़ा होना जरूरी नहीं। भारतीय स्वास्थ्य-तकनीकी कंपनियों में टर्टल शेल टेक्नोलॉजीज का उदाहरण लें, यह भारत में स्पर्शरहित स्वास्थ्य साथी को लॉन्च करने वाली पहली कंपनी है।
आईआईटी इंदौर के गौरव परचानी और आईआईटी मुंबई के मुदित दंडवते ने पतली सेंसर शीट विकसित की है, जिसे गद्दे के नीचे (18 इंच तक) रखा जाता है, चिकित्सा ग्रेड उपकरणों में 98.4% सटीकता के साथ यह स्वास्थ्य उपकरण हृदयगति, श्वास, नींद व तनाव में हो रहे फायदे पर निगरानी रखता है।
यह स्वास्थ्य की सामान्य निगरानियों, विशेष तौर पर रोकथाम से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाएं, तनाव प्रबंधन, नींद बेहतर करने व एथलीट के प्रदर्शन का प्रबंधन करने में भी इस्तेमाल किया जाता है। खुद से क्वांरटीन या जोखिम में शामिल लोग घर पर रहकर भी अपने स्वास्थ्य पर नजर रख सकते हैं, खासकर जब अस्पताल वायरस से निपटने में व्यस्त हैं।
इस क्षेत्र का एक और नवाचार भुवनेश्वर से है। ‘EzeCheck’ सफेद रंग का टॉर्च जैसा उपकरण है, जिसके ऊपर अंगुली रखने की छोटी जगह है। 10-20 सेकंड में शरीर में प्रवेश किए बिना यह हल्का उपकरण रक्त के पांच अलग-अलग मापदंडों जैसे हीमोग्लोबिन, ऑक्सीजन सेचुरेशन, बिलिरूबिन, क्रिएटिनिन व रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा बता देता है।
इस डाटा को झट से मोबाइल में ले सकते हैं और परामर्श के लिए डॉक्टर को भेज सकते हैं। ये सब सुई लगाए बिना, खून निकाले बिना भी संभव हैं! इसे पार्थ प्रतिम दास के साथ चैताली रॉय व सुदीप रॉय चौधुरी द्वारा स्थापित ‘EzeRx’ कंपनी ने विकसित किया है। फंडा यह है कि याद रखें, स्वास्थ्य सेवाएं, स्वास्थ्य सेवाओं का नेटवर्क, इन सेवाओं की सहूलियत- इनमें कुछ दवाओं से संबंधित हो सकती हैं, तो कुछ नहीं भी, ये सब भविष्य की जरूरतों पर राज करेंगी।
एन रघुरामन
(लेखक मैनेजमेंट गुरु हैं ये उनके निजी विचार हैं)