नवाचार से ही बदलेगी शिक्षा की तस्वीर

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सामाजिक-आर्थिक विकास की नई जमीन तैयार कर रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए आज बड़े पैमाने पर कुशल और सक्षम पेशेवरों की आवश्यकता है। वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए यह जरूरी शर्त है। यह आवश्यकता तभी पूरी होगी जब हम एक श्रेष्ठ शिक्षा प्रणाली कायम करें। शिक्षा में यह क्षमता है कि वह किसी राष्ट्र को वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित कर सकती है। जॉन डी रॉक फेलर ने कहा था कि अच्छा प्रबंधन औसत लोगों को यह दिखाता है कि श्रेष्ठ लोगों की तरह काम कैसे किया जाता है। शिक्षा जगत में इधर सकारात्मक बात यह हुई है कि हम न केवल नवाचार (इनोवेशन) के महत्व को समझने लगे है बल्कि दैनिक व्यवहार में इसे लाने का गंभीर प्रयास भी करने लगे हैं। हम अब परिणाम आधारित कार्यशैली अपना रहे हैं, हालांकि इस क्षेत्र में काफी कुछ किए जाने की आवश्यकता है। इसीलिए नई शिक्षा नीति के तहत स्कूली व उच्च शिक्षा में शोध, नवाचार और सृजनात्मक वातावरण को बढ़ावा देने के गंभीर प्रयास किए गए हैं। नई शिक्षा नीति भारत केंद्रित है जिसमें हमारी गौरवमयी संस्कृति और मानवीय मूल्यों के संरक्षण-संवर्धन पर काफी जोर है। हमारी संस्कृति अध्यात्म की एक निरंतर बहती धारा है जिसे ऋषियों-मुनियों, संतों और सूफियों ने अपने पवित्र जीवन दर्शन से लगातार सींचा है।

नवाचार के माध्यम से हमें उसी जीवन दर्शन को न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व में प्रचारित-प्रसारित करना है। हर क्षेत्र में इनोवेशन की आवश्यकता है। भारत समेत पूरा विश्व आज मूल्यों के संकट का सामना कर रहा है। ब्रिटिश काल के दौरान मूल्यों की जो गिरावट शुरू हुई वह आज भी जारी है। उस समय भारत के बचाव में आए महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद, सुभाष चंद्र बोस और सरदार पटेल सत्य, अहिंसा, त्याग, विनम्रता, समानता जैसे मूल्य लेकर आए। आजादी के 70 वर्ष बाद प्रभावी प्रबंधन और बेहतर विकास के लिए उन्हीं मूल्यों पर वापस जाने की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति में उन्हीं मूल्यों को जीवन में फिर से अहम जगह देने की कोशिश की गई है। नव प्रवर्तन से हम शिक्षा में इन श्रेष्ठ मानवीय मूल्यों का समावेश कर श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण कर सकते हैं। नवाचार युक्त शिक्षा का उद्देश्य सामाजिक -आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन स्थापित करना है। नई शिक्षा नीति के माध्यम से हम विद्यार्थियों को यह सिखाने में कामयाब होंगे कि एक जीवंत समाज के लिए हमारे स्वास्थ्य, हमारे कार्यों और प्रकृति के बीच सामंजस्य आवश्यक है। शैक्षिक बदलाव में सबसे बड़ी जिह्यमेदारी हमारे एक करोड़ से अधिक शिक्षकों पर है। हरेक शिक्षक में नवाचार की संभावनाएं मौजूद होती हैं, लेकिन औसत शिक्षक यह मानकर चलता है कि उसका काम पाठ्यक्रम पढ़ा देना और बच्चों को परीक्षा के लिए तैयार करना भर है, जबकि उसका असल काम बच्चे की उत्सुकता का विकास करना है।

मूल रूप से अध्यापक होने के कारण मैं यह सदैव महसूस करता हूं कि शिक्षक के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बच्चों को न केवल सीखने के लिए उत्साहित करना है बल्कि परिणाम आधारित अध्ययन के लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करना भी है। आज एक ऐसा वातावरण आवश्यक है, जो बच्चों को प्रश्न पूछने के लिए उत्साहित करता हो, उन्हें गलतियों से सीखने के अवसर देता हो और जोखिम उठाने के लिए प्रेरित करता हो। भारतीय ज्ञान- परंपरा के गुरु कुल सदियों से उत्साहपूर्ण वातावरण प्रदान करते आ रहे हैं। आज इस माहौल को दोबारा तैयार करने के लिए समर्पित दूरदर्शिता वाले दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यह संभव हो सकेगा एक नवाचार युक्त इकोसिस्टम के जरिए। इस इकोसिस्टम के अभाव में नवाचार मात्र एक शब्द बन कर रह जाएगा और हम शैक्षिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियों से वंचित रह जाएंगे। आज अधिकतर कक्षाओं में पठन-पाठन की प्रक्रिया जानकारी के हस्तांतरण तक सीमित रहती है। नई शिक्षा नीति में हम अध्ययन-अध्यापन को प्रयोग, अनुसंधान और अवलोकन तक ले जाने का प्रयास करेंगे। कक्षा में ऐसी गतिविधियां हों जो बच्चों को रोचक लगें, जिन्हें सोचना, समझना और समझाना पड़े। हम नवाचार के माध्यम से सरकारी स्कूलों में ड्रॉपआउट की संख्या कम करना चाहते हैं! बच्चों को शारीरिक रूप से फिट रखना है। विज्ञान और गणित में उनकी रुचि को न केवल बढ़ाना है बल्कि उनके प्रदर्शन में व्यापक सुधार करना है।

नई प्रौद्योगिकी, नए ज्ञान- विज्ञान को अत्यंत चिकर रूप में प्रस्तुत करना, बच्चों के भीतर प्रश्न पूछने का भाव जगाकर उनका समग्र विकास करना नई शिक्षा नीति के उद्देश्यों में है। इस नीति का मकसद बच्चों को इस योग्य बनाना है कि वे देश के लिए सोचें। स्टार्ट अप के माध्यम से उनके भीतर उद्यमिता विक सित करना भी इसका एक जरूरी हिस्सा है। इसके अलावा इसमें अपशिष्ट प्रबंधन, वायु प्रदूषण, जल संरक्षण, स्वास्थ्य, शहरों में पार्किंग जैसी ज्वलंत समस्याओं के समाधान ढूंढना भी शामिल है। अभी कुछ दिन पहले मुझे नंदन नीलेकणि से मिलने का मौका मिला। मुझे लगता है, उनके द्वारा दिया गया लेवल प्लेयिंग फील्ड (सबके लिए समान अवसर) का विचार आज के परिप्रेक्ष्य में अत्यंत आवश्यक है। विशेषकर भारत जैसे देश के लिए, जहां हम विश्व की 18 प्रतिशत मानवता के जीवन में सामाजिक – आर्थिक क्रांति लाना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवाचार की महत्ता बताते हुए कहा कि अब नवाचार विकल्प नहीं, अनिवार्यता है। देश को महाशक्ति के रूप में विकसित करने में नवाचार की महत्वपूर्ण भूमिका होगी और इसे जन-जन तक ले जाने में मूल भूमिका शिक्षकों की है। जितनी जल्दी हम इस नवाचार रूपी मंत्र को समझ जाएं उतनी जल्दी हम शैक्षिक उत्कृष्टता भी प्राप्त कर सकते हैं। भारत की शिक्षा में नव प्रवर्तन, शोध, अनुसंधान का वातावरण विकसित करना न केवल शैक्षिक उन्नयन के लिए आवश्यक है बल्कि नव भारत के निर्माण के लिए भी यह एक जरूरी शर्त है।

रमेश पोखरियाल निशंक
(लेखक मोदी सरकार में एचआरडी मिनिस्टर हैं)

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