किसी भी देवी की पूजा शुरु करने से पहले लिया जाता है संकल्प, इसके बिना अधूरी रहती है पूजा

0
393

किसी भी देवी-देवता की पूजा शुरु करने से पहले संकल्प किया जाता है। ये पूजा विधि की अनिवार्य क्रिया है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य प. मनीष शर्मा के अनुसार अगर सही विधि-विधान से पुजा की जाती है तो उसका फल बहुत जल्दी मिल सकता है। इसीलिए जब भी विशेष पूजन किया जताा है। तब किसी ब्रह्मण की मदद ली जाती है। अगर हम घर में की जाने वाली सामान्य पूजा में भी कुछ बातों का ध्यान रखेंगे तो पूजा सफल हो सकती है। घर में पूजा करते समय भी संकल्प जरूर करना चाहिए। जानिए इस पूजन कर्म से जुड़ी खास बातें…

पं. शर्मा के मुताबिक पूजा से पहले अगर संकल्प ना लिया जाए तो उस पूजन का पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो पाता है। इस संबंध में मान्यता है कि संकल्प के बिना की गई पूजा का सारा फल देवराज इन्द्र को प्राप्त हो जाता है। इसीलिए प्रतिदिन की पूजा में भी पहले संकल्प लेना चाहिए, फिर पूजन करना चाहिए, फिर पूजन करना चाहिए।

संकल्प लेने का अर्थ यह है कि इष्टदेव और स्वयं को साक्षी मानकर संकल्प लिया जाता है कि हम यह पूजन कर्म विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए कर रहे हैं और इस पूजन को पूर्ण अवश्य करेंगे। इस पूजा को अधूरा नहीं छोंड़ेगे। इस बात का संकल्प लिया जाता है।

संकल्प लेते समय हात में जल लिया जाता है, क्योंकि इस पूरी सृष्टि के पंचमहाभूतों (अग्रि, पृथ्वी, आकाश, वायु और जल) में भगवान गणपति जल तत्व के अधिपति हैं। इसीलिए श्रीगणेश को सामने रखकर संकल्प लिया जाता है। ताकि श्रीगणेश की कृपा से पूजन कर्म बिना किसी बाधा के पूर्ण हो सके। एक बार पूजन का संकल्प लेने के बाद उस पूजा को पूरा करना आवश्यक होता है। इस परंपरा से हमारी संकल्प शक्ति मजबूत होती है। व्यक्ति को विपरित परिस्थितियों का सामना करने का साहस मिलता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here