प्रभात एक्सक्लूसिव सर्वे

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चलो, 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन को राष्ट्र नीति दिवस के रूप में मनाएं!

प्रभात के एक्सक्लूसिव सर्वे में लोगों ने बढ़-चढक़र भाग लिया। हमारी वेबसाइट के साथ-साथ, सोशल मीडिया, व्हाट्सअप और मेल द्वारा भी अनेकों लोगों ने इस सर्वे में अपना मत दिया, अपना योगदान दिया। सुभारती मीडिया लिमिटेड उनके इस जज्बे और प्रभात के साथ उनके एक विश्वास को सलाम करता है। साथ ही यह भरोसा दिलाते हैं कि हम हमेशा की तरह सच को छिपायेंगे नहीं बल्कि छापेंगे। यह केवल एक नारा ही बल्कि लाखों पाठकों का विश्वास है। जिसे प्रभात 75 बरसों से बरकरार रखे हुए है। कुल मिलाकर स्नेप सर्वे में दो हजार पांच सौ पिचासी लोगों ने अपने मत व्यक्त किए या हमारे रिपोर्टरों या हमारे सर्वे करने वाले साथियों को अपना जवाब दिया। इन सभी जवाबों में हमें एक हजार नौ सौ अट्ठानमें लोगों ने हमारे फॉर्मेट या हमारे दिये गये प्रश्नों को एक नियम के तहत जवाब दिया। इन जवाबों को हमारे सर्वे विशेषज्ञों की टीम ने इसकी विश्वसनीयता और सही जवाब आप तक पहुंचे इस बात को ध्यान में रखते हुए सर्वे का रिजल्ट बनाया। यहां पर आपको यह बताना जरूरी है कि हम किसी भी तरह से इन प्रश्नों के जवाब को अपने हिसाब से बनाने के लिए बाध्य नहीं थे और यही कारण है कि हम एक निस्कर्ष पर जल्दी पहुंचे। इसके अलावा हमें देश के कुछ गणमान्य लोगों से भी बात करी कि उनका क्या मत है। वह भी आपके सामने प्रस्तुत है साथ ही नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को भी ध्यान मे रखा क्योकि उसे ही श्रेय है दो बार मोदी जी को संसद तक पहुंचाने का। उनका मत जरूरी है।

प्रश्न:१ ‘शिक्षक दिवस कि सके जन्मदिन पर बनाया जाता है’

उत्तर चौंकाने वाले हैं। क्योंकि हमने अपने स्कूल, क लेज, यूनिवर्सिटी में हर 5 सितम्बर को यह दिवस मनाया। पर 35 प्रतिशत लोगों ने डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद का नाम लिया। 50 फीसदी लोगों ने डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और 10 फीसदी लोगों ने मौलाना अब्दुल क लाम आजाद बोला तो 2 प्रतिशत लोगों ने पं. जवाहर लाल नेहरू बोला और 3 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्हें इस बात का पता नहीं, हां शिक्षक दिवस मनाया जरूर जाता है।

प्रश्न-२ ‘भारत में बहुत से दिवस मनाये जाते हैं क्या राष्ट्रीय नीति दिवस मनाया जाता है’

उत्तर इस प्रश्न के उत्तर में एक आश्चर्य छिपा था क्योंकि करीब 55 फीसदी लोगों ने कहा कि पता नहीं। वहीं 40 प्रतिशत लोगों ने कहा नहीं और 5 फीसदी लोगों ने कहा कि हॉं मनाया जाता है।

प्रश्न-३ अगर नहीं तो मनाने की जरूरत है ?

उत्तर- इसका उत्तर देने में लोगों को थोडा समय लगा परंतु 52 फीसदी लोगों ने कहा नहीं। इस बात को भी उन्होंने कहा कि इतने दिवस मनाये जा रहे हैं अब ये कौन सा नया राष्ट्र दिवस पूछ रहे हो हमारे लिए तो रोज ही राष्ट्र दिवस है। तो इस दिवस मनाने की क्या जरूरत है। 34.5 लोगों ने बोला कि हां राष्ट्रीयता की भावना को जगाने के लिए और सोये हुए को उठाने के लिए इस दिवस की जरूरत है। 13.5 फीसदी लोगों ने कहा कि पता नहीं।

प्रश्न:४ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस 17 सितंबर को राष्ट्र नीति दिवस के रूप में मनाया जाये ?

उत्तर- इस प्रश्न को सुनकर करीब करीब सबका जवाब मिला और गौर करने वाली यह है कि जवाब तुरंत मिला कुछ का गुस्से में कुछ का खुशी में और कुछ का आश्चर्य में पर जवाब रहा 75.5 फीसदी लोगों ने तुरंत बोला हां मोदी जी के जन्मदिन को राष्ट्र नीति दिवस के रूप में जरूर मनाना चाहिए, क्योंकि हमें पहली बार एक ऐसा नायक मिला है जो राष्ट्र को सर्वोच्च स्थान दिलाने के लिए दिन-रात लगा हुआ है। साथ ही भारत माता के लिए सबकुछ न्यौछावर करने के लिए तैयार है। उसका जन्मदिन राष्ट्रीय नीति दिवस के रूप में मनाने के लिए कोई बुराई नहीं है। 11 फीसदी लोगों ने कहा कि यह गलत होगा। किसी एक नेता को इतना ऊपर न चढ़ा दो। 13.5 फीसदी लोगों ने कहा कि इसके बारे में पता नहीं।

प्रश्न-५ आपके मत में इस दिवस का क्या नाम होना चाहिए ?

उत्तर- यह सबसे ज्यादा धर्म संकट वाला सवाल था और सर्वे में शामिल लोगों ने इस सवाल का जवाब देने में सबसे ज्यादा समय लगाया। निम्न प्रतिशत में इस सवाल का जवाब कुछ इस तरह मिला। राष्ट्रीय संकल्प दिवस 28 प्रतिशत। राष्ट्रीय चरित्र दिवस 10 प्रतिशत। इस सवाल के जवाब में कुछ लोगों ने चटकारा भी लिया और बोला कि अब क्या भारत में चरित्र दिवस भी मनाया जायेगा। सीता, राधा, सती-अनुसूइया, रानी लक्ष्मी बाई, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह के देश में अब इतना खराब समय आ गया कि अब हम राष्ट्रीय चरित्र दिवस मनाएं। इस पर जो मत मिले वह कम थे लेकिन चौंकाने वाले थे। राष्ट्रीय पथ प्रदर्शक दिवस। इस प्रश्न के जवाब में लोगों ने यह बोला कि भारत जैसे देश में पथ प्रदर्शक दिवस मनाने की जरूरत है क्या? क्योंकि यहां लोकतंत्र में सारे नेता चाहे कोई पथ न जाने लेकिन हर पांच साल, चार साल बाद हमारा पथ प्रदर्शक करने के लिए तैयार रहते हैं तो इसे दिवस के रूप में मनाने की क्या जरूरत है। नेहरू, गांधी, सुभाष, भगत सिंह, राजगुरू , चंद्रशेखर आजाद, वीर सावरकर, श्यामाप्रसाद मुखर्जी जैसे अनेक विचारक हमारे पथ प्रदर्शक रहे हैं। कितने पथ प्रदर्शक दिवस मनाओगे। लगता है हर दिन हमारा समय इसमें काफी चला जायेगा। परंतु इसके पक्ष में 9 प्रतिशत लोगों ने अपना मत दिया। राष्ट्रीय नीति दिवस मनाने के पक्ष में 51 प्रतिशत लोगों ने अपना मत दिया और यह माना कि भारत में लंबे समय से इस तरह के दिवस या फिर कहें कि विचारधारा की जरूरत है।

संक्षेप
‘प्रभात’ के इस सर्वे में यह बात खुलकर सामने आयी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस 17 सितंबर को एक बड़े पर्व के रूप में मनाने की चाह जनता में है। युवा इस बारे में बहुत ही बढ़-चढक़र इस पक्ष में जवाब दे रहे हैं। ‘प्रभात’ का सर्वे ही नहीं बल्कि इधर बीच जितने सर्वे हुए उसमें नरेंद्र मोदी को सर्वोच्च स्थान चाहने वालों ने दिया। इससे यह बात भी साबित होती है कि अब भारत को एक ऐसे दिवस की जरूरत है। देश में ही नहीं बल्कि विश्व में भारत को एक अलग पहचान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दिलाई है। धारा 370 जिस तरह से संवैधानिक तरीके से हटाई गई उसको देखते हुए इस सर्वे के दौरान उनकी तुलना सरदार पटेल से भी गई। इस सर्वे में यह भी देखा गया कि भारत अब आर्थिक दृष्टि से टेक ऑफ मोड के पर है। बस हमें राष्ट्र सर्वप्रथम के सिद्धांत को याद रखना है और सबको मिलकर कहना है जयहिन्द-जयभारत। हम आगे बढ़ते जायेंगे…

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