सोम प्रदोष व्रत

0
459

श्रावण मास में भगवान शिवजी की कृपा से होगी सुख-शान्ति एवं वैभव की प्राप्ति
आरोग्य सुख के साथ होगी सौभाग्य में अभिवृद्धि

भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना अपने-अपने तरीके से हर आस्थावान धर्मावलम्बी पुण्य अर्जित करने के लिए करते हैं। तैंतीस कोटि देवी-देवताओं में शिवजी की महिमा अनन्त है। जिसके फलस्वरूप भगवान शिवजी को देवाधिदेव महादेव माना गया है। भगवान शिवजी की विशेष कृपा- प्राप्ति के लिए शिवपुराण में विविध व्रतों का उल्लेख है, जिसमें प्रदोष एवं शिवरात्रि व्रत प्रमुख हैं। प्रदोष व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि खुशहाली मिलती है, साथ ही जीवन के समस्त दोषों का शमन भी होता है। प्रत्येक माह के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि जो प्रदोष बेला में मिलती हो, उसी दिन प्रदोष व्रत रखा जाता है। प्रदोषकाल का समय सूर्यास्त से 48 मिनट या 72 मिनट तक माना गया है, इसी अवधि में भगवान शिवजी की पूजा प्रारम्भ करने की परम्परा है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि इस बार 29 जुलाई, सोमवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। श्रावण कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 जुलाई, सोमवार को सायंकाल 5 बजकर 09 मिनट से लगेगी जो कि 30 जुलाई, मंगलवार को दिन में 02 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। जिसके फलस्वरूप प्रदोष व्रत इसी दिन रखा जाएगा। सोमवार शिवजी का प्रिय दिन है, श्रावण मास में सोमवार के दिन प्रदोष व्रत होने से सोम प्रदोष व्रत अति महत्वपूर्ण हो गया है।

ऐसे करें प्रदोष व्रत – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्ति होकर स्नान, ध्यान करके अपने अराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के पश्चात अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर प्रदोष व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए सायंकाल पुनः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर प्रदोषकाल में भगवान शिवजी की विधि-विधान पूर्वक पंचोपचार, दशोपचार अथवा षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। भगवान शिवजी की अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य प्रज्वलित करके आरती करनी चाहिए। परम्परा के अनुसार कहीं-कहीं पर जगतजननी माता पार्वती जी की भी पूजा-अर्चना करने का विधान है। शिवभक्त अपने मस्तक पर भस्म व तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा शीघ्र फलित होती है। भगवान शिवजी की महिमा में उनकी प्रसन्नता के लिए प्रदोष स्तोत्र का पाठ एवं स्कन्दपुराण में वर्णित प्रदोषव्रत कथा का पठन या श्रवण अवश्य करना चाहिए साथ ही व्रत से सम्बन्धित कथाएं भी सुननी चाहिए। प्रदोष व्रत महिलाएं एवं पुरुष दोनों के लिए समानरूप से फलदायी बतलाया गया है। व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए। अपनी दिनचर्या को नियमित संयमित रखते हुए व्रत को विधि-विधानपूर्वक करना लाभकारी रहता है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को दान करना चाहिए, साथ ही गरीबों व असहायों की सेवा व सहायता अवश्य करनी चाहिए। श्रद्धा-भक्तिभाव के साथ किए गए प्रदोष व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती रहती है तथा शिवजी की कृपा से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

वार (दिनों) के अनुसार प्रदोष व्रत के लाभ – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रत्येक दिन के प्रदोष व्रत का अलग-अलग प्रभाव हैष वारों (दिनों) के अनुसार सात प्रदोष व्रत बतलाए गए हैं, जैसे – रवि प्रदोष – आयु, आरोग्य, सुख समृद्धि, सोम प्रदोश –शान्ति, रक्षा तथा आरोग्य व सौभाग्य में वृद्धि, भौम प्रदोष – कर्ज से मुक्ति, बुध प्रदोष – मनोकामना की पूर्ति, गुरु प्रदोष – विजय व लक्ष्य की प्राप्ति, शुक्र प्रदोष-आरोग्य, सौभाग्य एवं मनोकामना की पूर्ति, शनि प्रदोष – पुत्र सुख की प्राप्ति। अभीष्ट की पूर्ति के लिए 11 प्रदोष व्रत या वर्ष के समस्त त्रयोदशी तिथियों का व्रत अथवा मनोकामना पूर्ति होने तक प्रदोष व्रत रखने की मान्यता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here