एक बार की बात है जर्मन दार्शनिक ने स्वामी दयानंद सरस्वती से कहा, स्वामी जी, आपका बलिष्ठ शरीर और ओजस्वी मुखमंडल देखकर मैं अत्यंत प्रभावित हूं। क्या मुझ जैसे समान्य व्यक्ति कभी आपके जैसे सशक्त शरीर और तेजयुक्त मुखमंडल प्राप्त कर सकता है।
इस पर स्वामी जो बोले, क्यों नहीं, जो व्यक्ति अपने को जैसा बनाना चाहे, वह वैसा बन सकता है। हर व्यक्ति अपने कल्पना के अनुरूप ही बनता है। तुम भी मेरे जैसे बन सकते हो। इसके लिए तुम्हें सबसे पहले एक लक्ष्य बनाना चाहिए, फिर उसकी पूर्ति के लिए संकल्प करके उसी के अनुसार काम करना चाहिए। एकाग्र मन से किए गए कार्य एक दिन सफलता की मंजिल पर लाकर खड़ा कर देता है।