धोनी के साथ कब तक होगी अनहोनी ?

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क्रिकेट में एक कहावत है- ‘बीतते वत के साथ कप्तानी निखरती है और बल्लेबाज़ी बिखरती है। ‘ हिंदुस्तानी क्रिकेट में ये कहावत एकदम सटीक बैठती है, जैसे जैसे कप्तानी के साल बढ़ते हैं बल्लेबाज़ी के आंकड़े घटने लगते हैं और महेंद्र सिंह धोनी पर तो ये बात बिल्कुल सटीक बैठती है, उनके इंटरनेशनल करियर के आखिरी दौर में भी यही दिखा और अब इस बार आईपीएल में वो पूरी तबीयत से दिख भी रही है। इस बार आईपीएल का दूसरा दौर चल रहा है, दोनों ही दौर में धोनी की सिफऱ् कप्तानी चमकी है, बल्लेबाज़ी में आंकड़े कमजोर भी हैं और डराते भी हैं कि आईपीएल छोड़ते समय धोनी के करिश्मे के ऊपर असफलता की मोटी परत ना चढ़ जाए। देखिए धोनी एक ज़बरदस्त बल्लेबाज़ रहे हैं, होंगे भी अंदर से लेकिन क्रीज़ पर नहीं दिख रहा। पहले ये आंकड़े देख लिजिए फिर कारण पर संदेहों का हेलिकॉप्टर शॉट भी घूमेगा। मैच- 8, रन- चालीस, औसत- 10.0, चौका- 4, छका केवल एक। देखिए धोनी की जो ख़ासियत उन्हें 130 करोड़ दिलों की धड़कन बनाती है वो है फंसे हुए मैचों में जीत दिलाने की उनकी क़ाबिलियत।

भले ही धोनी इंटरनेशनल स्तर पर अपने आखिरी के सालों में ऐसा ना कर पाए हों लेकिन ये एक ऐसी छवि है जो आज भी हर हिंदुस्तानी फैंस के दिल में रची-बसी है। आईपीएल में इस बार की शुरुआत धोनी के इस टूर्नामेंट में सबसे खऱाब शुरुआतों में से एक है। बल्ला चल तो रहा है लेकिन गेंद बाउंड्री पार नहीं जा रही। इस आईपीएल के दूसरे दौर के शुरुआती मैच में मुंबई इंडियंस के खि़लाफ़ धोनी के पास मौक़ा भी था और फैंस को इंतज़ार भी था। हाल फि़लहाल में शायद पहली बार धोनी क्रीज़ पर चौथे ओवर में ही क्रीज़ पर आ गए थे। पूरे 16 ओवर का समय था, लेकिन हमेशा इत्मिनान वाले धोनी इस पारी में बदले- बदले नजऱ आए। जो धोनी बिल्कुल आखिऱ में लंबे शॉट्स लगाते थे, वो पांचवीं गेंद को ही बुर्ज ख़लीफ़ा में भेजने की कोशिश कर बैठे, जिस धोनी की कलाई, हिंदुस्तान की क्रिकेट मैदान में ताक़त मानी जाती थी, उसी की कलई खुल गई, गेंद बल्ले के बीचों-बीच लगी थी और कैच भी बीचों- बीच ही पकड़ा गया। हिंदुस्तानी फैंस के सामने इज़्ज़त की गाड़ी तो गुडविल से चल जाती है, लेकिन क्रिकेट पिच पर रन गुडविल से नहीं बनते।

धोनी ने 15 अगस्त 2020 को इंटरनेशनल क्रिकेट से अलविदा कह दिया था, घरेलू क्रिकेट में कोरोना के चलते खेल ना के बराबर ही हुआ, वैसे भी धोनी घरेलू क्रिकेट में कम ही खेलते हैं। धोनी ने घरेलू क्रिकेट में झारखंड के लिए आखिऱी बार 2016-17 के सीजऩ में खेला था। अब नेट्स पर कोई भी क्रिकेटर चाहे कितनी प्रैटिस कर ले लेकिन मैच प्रैटिस की कमी बड़े बड़े बल्लेबाज़ों की मैच में हवा निकाल देती है। धोनी के साथ भी यही हो रहा है और डर है कि ये होता ना रहे। बड़ा सवाल अब यही है और पूछा भी जा रहा है कि धोनी कप्तानी के दम पर कितने दिनों तक चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेलेंगे। चेन्नई के मालिक एन श्रीनिवासन के धोनी लाड़ले हैं और होने भी चाहिए। लेकिन धोनी क्रिकेट फैंस के भी बड़े लाड़ले हैं, धोनी को देखकर हिंदुस्तानी क्रिकेट की कई पीढिय़ां छोटे क़स्बों से निकली हैं और आईपीएल में नाम बना रही हैं।

ऐसे में धोनी को ये भी ध्यान रखना होगा कि कहीं उनकी प्रेरणा स्रोत वाली छवि ना धूमिल हो योंकि ऐसा हुआ तो ये हिंदुस्तानी क्रिकेट के लिए बड़ा घाटा होगी। धोनी की उम्र अब 40 साल की हो गई है, आईपीएल के सबसे सफल और करिश्माई कप्तानों में शुमार हैं धोनी। इंटरनेशनल क्रिकेट में उनकी सफलता की क़समें खाई जाती हैं, आईपीएल में उनकी बल्लेबाज़ी का ओवरऑल रिकॉर्ड भी शानदार है, लेकिन ये सारी सफलताएं बतौर खिलाड़ी धोनी के मैदान में उतरने से पहले ही सुनहरी लग रही हैं, ऐसे में हरभजन सिंह ने भी दबी ज़ुबान में ही सही, कह ही दिया कि हो सकता है ये धोनी का आईपीएल में आखिरी साल हो। अगर धोनी की चेन्नई इस बार फ़ाइनल में पहुंची तो हो सकता है धोनी अपने 5000 आईपीएल रन भी पूरे कर लें, हालांकि ये दूर की कौड़ी लग रही है, लेकिन फिर धोनी और करिश्मे को अलग करके कहां देखा जाता है हिंदुस्तानी क्रिकेट में?

अनुराग श्रीवास्तव
(लेखक खेल पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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