हमेशा अच्छा करो

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एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहां से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी। वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था। एक कुबड़ा व्यक्ति रोज उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता कि जो तुम बुरा करोगे वह तुहारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा। दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा। वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और उन्ही शदों को बड़बड़ाता। औरत उस व्यक्ति से तंग होकर कहने लगी कि कितना अजीब व्यक्ति है, एक शद धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है। एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोलीरू मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी।

उसने उस रोटी में जहर मिला दिया जो वो रोज उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह बोलीरू हे भगवनए मैं ये क्या करने जा रही थी। और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे कि आंच में जला दिया। एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी। हर रोज़ कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी लेकर चला गया। ठीक उसी शाम को उसके दरवाजे पर एक दस्तक होती है, वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है, अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है। वह पतला और दुबला हो गया था। जैसे ही उसने अपनी मां को देखा, उसने कहा, मां, यह एक चमत्कार है कि मैं यहां हूं।

आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया। मैं मर गया होता। लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुजऱ रहा था। उसकी नजर मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया। भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे। मैंने उससे खाने को कुछ मांगा। उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि मैं हर रोज यही खाता हूं लेकिन आज मुझसे ज्यादा जरुरत इसकी तुहें है। ये बाते सुनकर मां का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को संभालने के लिए उसने दरवाजे का सहारा लिया। उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत।

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