बुरे समय का मददगार ही सच्चा हितैषी

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जीवन के मुश्किल समय में जिन लोगों ने हमारी मदद की है, उन्हें कभी भूलना नहीं चाहिए। जब उसका उपकार लौटाना हो तो ज्यादा करके ही वापस करना चाहिए। तब माना जाएगा, हमने किसी को याद भी रखा और सही ढंग से उपकार लौटाया भी। इस बारे में एक प्रसंग कुछ है कि पंजाब के छोटे से गांव में एक दूध वाला था। उसे एक महीने के दूध की कीमत डबल करके लौटाई गई तो वह हैरान हो गया। कीमत देने वाले से दूध वाले ने पूछा, ये किस बात के लिए दूध का भुगतान किया जा रहा है और कौन कर रहा है। देने वाले ने कहा, प्रोफेसर रामतीर्थ आपके पास आएंगे और ये राशि उन्होंने पहुंचाई है। कुछ समय बाद प्रोफेसर रामतीर्थ अपने गांव आए तो उस दूध वाले के पास गए। रामतीर्थ ने कहा, मुझे बचपन से दूध पीने का बहुत शौक था।

मुझे लगता था कि दूध पीने से बुद्धि तेज होती है। मैं आपकी दुकान से ही दूध खरीदकर पीता था। एक बार मेरे पास दूध खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। तब आपने मुझे एक महीने तक बिना पैसों के दूध दिया था। अब मेरी नौकरी लाहौर में लग गई है। मैं गणित का प्रोफेसर हो गया हूं। मुझे वेतन मिला तो मैंने सोचा कि मैं आपको ये राशि दूं। दूध वाले ने कहा, सबसे अच्छा तो ये लग रहा है कि किसी ने पुरानी बात याद रखी। अब पैसे दे ही रहे हैं तो हिसाब मैं भी कर लूं। आप जो पैसा दे रहे हैं, वह एक महीने के दूध के पैसे से बहुत अधिक है। आप उतने ही पैसे दीजिएए जितना लगा है। रामतीर्थ बोले, सामान्य व्यति हिसाब रखते हैं कि कितना लिया था या जितना देना है, उतना ही दें। जिन लोगों को भगवान के मार्ग पर चलना हो, जो भत बनना चाहते हैं, उनको देते समय संकोच नहीं करना चाहिए। ज्यादा ही देना चाहिए। इसलिए ये राशि आप रखिए।

प. विजयशंकर मेहता

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