कोरोना खात्मे को तत्काल हो एक्शन

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लगातार चौथे दिन 4 लाख से ज्यादा नए केस बता रहे हैं कि देश में कोरोना की दूसरी लहर खतरनाक होती जा रही है। नए संक्रमितों के साथ मौतों का बढ़ता आंकड़ा भी चिंता का सबब बन रहा है। इधर, कुछ दिनों से रोजाना लगभग चार हजार लोग कोरोना से दम तोड़ रहे हैं। हालांकि दिल्ली, महाराष्ट्र से नए केस आने की गति सुस्त हुई है, लेकिन उार भारत के सभी राज्यों, हरियाणा, यूपी, बिहार, राजस्थान, झारखंड आदि राज्यों में कोविड गांवों तक पसर चुकी है। इन राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा की हालत बेहद खराब है, जिससे वहां संक्रमितों को इलाज भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में लोग कोरोना से बचाव नहीं कर पा रहे हैं। राज्यों की बिगड़ती हालत को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 4 दिन में 15 राज्यों के मुयमंत्री और 2 केंद्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल से फोन पर बात कर चुके हैं। उन्होंने अब तक पंजाब, कर्नाटक, बिहार, उाराखंड, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, तेलंगाना, मणिपुर, सिक्किम, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और तमिलनाडु के मुयमंत्रियों और जम्मू कश्मीर व पुडुचेरी के उपराज्यपाल से बात की है।

इस दौरान उन्होंने वहां कोरोना के हालात व सरकार के उपायों का जायजा लिया है। इन बातों का निष्कर्ष क्या निकला है, यह अभी साफ नहीं है, कारण कि देश में अभी भी ऑक्सीजन की आपूर्ति, जीवनरक्षक दवाओं की कमी, इलाज की दिक्कत, चिकित्सा सुविधा व अस्पतालों में बेड की कमी बनी हुई है। ऑक्सीजन आपूर्ति व दवा आदि को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सरकार के प्रति सत है। शीर्ष अदालत ने पिछले दिनों केंद्र सरकार से कोरोना से निपटने के लिए राष्ट्रीय प्लान मांगा था। केंद्र की तरफ अभी तक ऐसा कोई प्लान आया तो नहीं है। अलबाा शीर्ष कोर्ट ने 12 सदस्यीय राष्ट्रीय टास्क फोर्स गठित कर दिया है। इसमें देश के जाने-माने चिकित्सक, शीर्ष सरकारी अधिकारी आदि शामिल किए गए हैं। यह टास्क फोर्स पूरे देश में ऑक्सीजन की जरूरत और वितरण का आकलन और सिफारिश करने का काम करेगी। यह टास्क फोर्स कोविड के इलाज के लिए जरूरी दवाओं की समान व उचित उपलब्धता तय करने के लिए सुझाव भी देगी और महामारी के चलते पैदा हुए अन्य मुद्दों के समाधान पर भी सुझाव देगी।

जल्द ही यह टास्क फोर्स काम शुरू कर देगी। टास्क फोर्स अपनी रिपोर्ट केंद्र और अदालत के पास जमा करेगी, लेकिन इसकी सिफारिशें सीधे सुप्रीम कोर्ट को भेजी जाएंगी। एक अहम बात है कि राष्ट्रीय टास्क फोर्स में ज्यादातर निजी क्षेत्र के अस्पतालों के प्रमुख हैं और हमारे देश के निजी अस्पताल आमजन की स्वास्थ्य सेवा के प्रति कितना समर्पित हैंए यह किसी से छिपा नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को इसकी भी निगरानी करनी होगी। यह टास्क फोर्स देश में ऑक्सीजन व दवा आपूर्ति कितना सुधार पाती हैए सरकार इनके सुझावों पर कितना अमल करती है और सबसे बड़ी बात कि कोरोना पीड़तों को कब फायदा मिलता है, यह देखने वाली बात होगी। देश में कोरोना पीडि़त अभी परेशान हैं और उन्हें अपनी जान बचाने के लिए तत्काल ऑक्सीजन, दवा जैसी सुविधाओं की जरूरत है। चाहे सुप्रीम कोर्ट हो या सरकार, कोरोना पीडि़तों को राहत पहुंचाने के लिए फौरी इंतजामों पर ध्यान देना चाहिए। देश में कोरोना की जो हालत है, उसमें योजना बनाने, सलाह देने आदि का वक्त शायद बीत चुका है। अभी तो बस एक्शन प्लान चाहिए, जिसमें फौरी आपूर्ति राहत की बात हो।

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