नहीं बदल रहा पाक

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पाकिस्तान के बालाकोट स्थित जैश के आतंकी ठिकानों पर भारत की तरफ से एयरस्ट्राइक के बाद लग रहा था कि स्थितियां बदलेंगी पर ना तो पाकिस्तान का भारत के प्रति रवैया बदल रहा है और ना ही उसके पाले-पोसे गये आतंकियों की करतूत थम रही है। भारत की सीमा में आबादी वाले गांवों मे पाक की तरफ से मोर्टार दागे जा रहे हैं और विरोधाभास यह कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर जैश से जुड़े आतंकियों को गिरफ्त में लेते हुए अपने बदले हुए रुख की मुनादी की जा रही है। आतकी हाफिज सईद के संगठन जमाउतदावा और फलाही इंसानियत पर प्रतिबंध की कवायत भी हो रही है। रिश्तों में आई तल्खी को दोनों दिशों-पाकिस्तान की तरफ से संयमित कार्रवाई हो रही है।

रिश्तों में आई तल्खी को दोनों देशों-पाकिस्तान-भारत को दूर करने की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। जबकि हकीकत यह है कि भारत आये दिन आतंकियों से जूझ रहा है। इसी गुरूवार को जम्मू-बस स्टैण्ड पर हुए ग्रेनेड हमले में एक की मौत और दर्जनों लोग जख्मी हो गए। इसे अंजाम देने वाला शख्स भी पकड़ लिया गया। उसे हिजबुल मुजाहिदीन का सदस्य बताया जाता है। जबकि पाकिस्तान कह रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जो हो रहा है वो स्थानीय लोगों का भारत सरकार के प्रति उपजे असंतोष का नतीजा है। पाकिस्तान सिर्फ कश्मीरियों की आजादी के जंग को अपना नैतिक समर्थन दे रहा है। जहां तक कश्मीर में बिगड़े हालात का ताल्लुक है तो इसकी वजह जानने के लिए भारत सरकार को अपनी नीतियों की समीक्षा करनी चाहिए। यह राग पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान संसद से लेकर मीडिया तक अलाप रहे हैं।

और इस सबके बीच यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में सियासी पार्टियां अपने खास चश्मे से सात दशक पुरानी कश्मीर समस्या को देख रही हैं। चुनावी दिनों में सभी दलों का चयनित आग्रह बढ़ गया है, इसमें राष्ट्रीय दलों के लोग भी शामिल हैं। सेना पर सवाल उठ रहे हैं, उसके पराक्रम पर सियासत हो रही है। हाल ये है कि आपसी भाईचारे का माहौल बिगड़ने की कगार पर है। देश के दूसरे हिस्सों में पढ़ाई और रोजगार के सिलसिले में रह रहे कश्मीरी लोगों पर हमले हो रहे हैं। अभी पिछले दिनों लखनऊ में कश्मीरी सेल्समैन पर कुछ लोगों ने लाठी-डंडों से प्रहार कर दिया हालंकि पुलिस हरकत में आई और दोषी पकड़ लिए गए। ऐसी स्थितियां देश का मिजाज बिगाड़ती हैं। इस बारे में संयम के साथ सजगता जरूरी है। अपनी सौहार्द बिगड़ने का फायदा दूसरे तो उठाएंगे ही।

हालिया मसलों पर विभाजित विमर्श का नतीजा है कि पाकिस्तान के हौसले दुर्दिन में भी बुलंद है। आर्थिक तौर पर कमजोर पाकिस्तान को नये सिरे से खड़ा करने की कोशिश में पड़ोस का शीर्ष नेतृत्व जुटा हुआ है। हाल-फिलहाल आतंकियों के खिलाफ हुई कार्रवाई अपनी असली मंशा से अन्तर्राष्ट्रीय बिरादरी का ध्यान बटांने के लिए है। इससे उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध ढ़ीले पड़ सकते हैं। सऊदी अरब और चीन जैसे देश भले ही पाकिस्तान की आर्थिक मदद कर रहे हैं, पर इतने भर से आर्थिक बदहाली दूर नहीं हो सकती। विदेश निवेश जितना बढ़ेगा उतना ही पाकिस्तान में रोजगार पैदा होगा। पाकिस्तान की अब तक सारी फील गुड कवादय को इसी श्रेणी में रखा जा सकता है।

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  1. I have not checked in here for some time since I thought it was getting boring, but the last several posts are good quality so I guess I will add you back to my everyday bloglist. You deserve it my friend 🙂

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