श्रीराम जन्म महोत्सव : 21 अप्रैल, बुधवार को

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भगवान श्रीरामजी के व्रत-उपवास एवं दर्शन पूजन से होगी मनोकामना पूरी

भारतीय संस्कृति में सनातन धर्म के अन्तर्गत व्रत व उत्सव की काफी महिमा है। प्रख्यात ज्योर्तिविद् श्री विमल जैन ने बताया कि भगवान श्रीराम का जन्म महोत्सव चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि के दिन हर्ष, उमंग व उल्लास के साथ मनाया जाता है, जो कि रामनवमी के नाम से प्रसिद्ध है। इस बार चैा शुक्लपक्ष की नवमी तिथि 20 अप्रैल, मंगलवार को अर्द्धराशि के पश्चात् 12 बजकर 44 मिनट से लगेगी जो कि 21 अप्रैल, बुधवार को अर्द्धराशि के पश्चात् 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगी। जिसके फलस्वरूप 21 अप्रैल, बुधवार को श्रीरामनवमी का पर्व मनाया जाएगा। ऐसी मान्यता है कि चै । शुक्लपक्ष की नवमी तिथि, मध्याह्न काल, कर्क लग्न, पुष्य नक्षा में महारानी कौशल्या देवी की कोख से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीरामजी का जन्म हुआ था। भगवान श्रीराम जी की पूजाअर्चना एवं उपासना से जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात् अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर श्रीरामनवमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत के दिन अपनी दिनचर्या नियमित व संयमित रखते हुए व्रत का पालन करना चाहिए। भगवान श्रीराम से सम्बन्धित विभिन्न स्तुतियाँ, श्रीराम सहस्रनाम, श्रीरामरक्षास्तो । एवं भगवान श्रीराम से सम्बन्धित विभिन्न मंगों का जप आदि करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि श्रीरामजी शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त को मंगल कल्याण का आशीर्वाद प्रदान करते हैं जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है। जीवन के समस्त संकटों के निवारण के लिए भगवान श्रीरामजी की आराधना शीघ्र फलदायी

– ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन

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