तोताराम ने दी, सबसे बड़ी गीता के लिए बधाई

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हमने कहा, इसमें क्या खास बात है। वैसे भी महाभारत दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य है ही। और जहां तक गीता की बात है तो उसमें 700 श्लोक हैं। उनमें चौथे अध्याय का 12 वां श्लोक ही उस गीता का सार है। ‘सिद्धिर्भवति कर्मजा’ यानी कर्म से ही सिद्धि होती है। व्यर्थ के नाटकों से या केवल कामना मात्र से सिद्धि नहीं होती।।

जैसे कुछ मनहूस लोग दुःखी होने का मौका खोज ही लेते हैं वैसे तोताराम हमें बधाई देने का कोई न कोई अवसर निकाल ही लेता है। आते ही बोला, बधाई हो, भाई साबह। हमने पूछा, बधाई किस बात की? पे कमीशन के एरियर की तो कोई संभावना है नहीं। और जब देश संकट में हो तो अपनी छोटी-छोटी तकलीफो का रोना लेकर बैठना शोभा भी नहीं देता। देखा नहीं, केजरीवाल जी ने भी अपना अनशन स्थगति कर दिया कि नहीं।

बोला वह तो होता भी तो प्रतीकात्मक होता। आजकल आंध्र वाले रामुलू की तरह कोई वास्तव में आमरण थोड़े ही करता है। वैसे भी ये सब अब मई 2019 तक चलते ही रहेंगे। मैं दुनिया की सहसे बड़ी गीता के अनावरण की बधाई दे रहा था। हमने कहा, इसमें क्या खास बात है। वैसे भी महाभात दुनिया का सबसे बड़ा महाकाव्य है ही। और जहां तक गीता की बात है तो इसमें 700 श्लोक हैं। उनमें चौथे अध्याय का 12 वां श्लोक ही उस गीता का सार है। ‘सिद्धिर्भवति कर्मजा’ यानि कर्म से ही सिद्धि होती है। व्यर्थ के नाटकों से या केवल कामना मात्र से सिद्धि नहीं होती। इसलिए इसे बड़े या छोटे आकार में लिखना-लिखाना कोई महत्तव नहीं रखता। पैसे और पहुंच हो तो कोई भी कुछ भी करके गिनीस बुक में अपना नाम लिखवा सकता है। देखा नहीं, डबल श्री जी ने और कुछ नहीं तो हजारों लोगों को इकट्टा करके यमुना के किनारे नचाकर रिकॉर्ड बना दिया था कि नहीं, चार सौ श्लोक तो बहुत होते हैं। तेरे पास हों तो तू कोई पहाड़ खरीदकर उस पर अपने हस्ताक्षर खुदवाकर सबसे वजनी हस्ताक्षर का रिकॉर्ड बना सकता है। बोला हां मास्टर, यह बात तो है। अपने सीकर में चातुर्मास के दौरान अगस्त 2017 में जैन संत तरुण सागर ने भी तो अपनी 51 फुट ऊंची और 31 क्विंटल वजनी पुस्तक का विमोजन किया था।

हमने पूछा, क्या तूने उस पुस्तक को देखा था। बोला, मास्टर, एक बार मन तो किया लेकिन फिर डर के मारे रुक गया। जिस देश में जब जहां चाहे पुल आदि गिर जाते हैं, वहां एक पुस्तक की क्या बिसात। इसलिए रिस्क नहीं ली क्या पता, मेरा जिस क्षण इसके पास जाना हो उसी क्षण उसे गिरना हो। हमने कहा फिर भी तोताराम, इस गीता में एक विचित्र संयोग तो जरूर है। इसका अनावरण मोदी जी ने किया। मोदी जी गुजरात से दिल्ली आए हैं। कृष्ण भी महाभारत में के युद्ध में भाग लेने के लिए गुजरात से हस्तिनापुर आए थे और गीता का उपदेश दिया था। गीता की यह रिकॉर्ड धारी प्रति भी पहले समुद्री मार्ग से गुजरात पहुंची फिर दिल्ली के इस्कोन मंदिर में आई। गीता को शंकराचार्य ने उपनिषद रूपी गाय का दूध कहा है।

मोदी की शौली में गीता, गुजरात और गाय का अनुप्रास भी मिल जाता है। बोला, इसमें एक और विचित्र संयोग है। मोदी जी के राजनीतिक दर्शन में इटली का भी प्रमुख स्थान है और मजे की बात यह है कि भारत के समस्त ज्ञान-विज्ञान के बावजूद गीता की इस सबसे बड़ी प्रति का निर्माण भी इटली में किया गया।

हमने कहा, लेकिन इसे पढ़ेगा कौन? यहां तो किसी सामान्य आदमी की अर्थी को उठाने के लिए चार आदमी नहीं जुटते जबकि इस गीता का तो पन्ना पलटने भर की चार आदमी चाहिए।

         रमेश जोशी
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है।)

2 COMMENTS

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