मानव तस्करी सभ्य समाज पर कलंक

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कभी-कभी तो यह सोचने पर विवश होना पड़ता है कि क्या हम उस युग में जी रहे हैं, जिसे वैज्ञानिक युग कहा जाता है, जो घटनाएं हमारे इर्द-गिर्द घट रही हैं, उन्हें देखकर तो नहीं लगता कि हम एक विकसित देश के एक सभ्य समाज में जी रहे हैं। ऐसा लगता है कि आज भी हम उस वातावरण में अपना जीवन भोग रहे हैं जिसे गिरा हुआ घृणित समझा जाता था, जिसमें नारी का कोई महत्व नहीं होता था, उसे पुरुष समाज दबा-कुचला समझकर केवल घर के अंदर कैद रखना चाहता था। समाज में घट रही घटनाओं को देखकर लगता है आज भी कुछ नहीं बदला है, यदि बदला भी है तो केवल कागजों पर, हकीकत इससे कहीं अधिक दूर है। पहली घटना मध्यप्रदेश के जबलपुर की है जहां के एक होटल में मानव तष्करी का मामला आया है, यहां से गरीब महिलाओं को राजस्थान में बेचने का धंधा जारी था। तस्कर गरीब मजदूर महिलाओं को अधिक वेतन का झांसा देकर राजस्थान ले जाते थे और वहां उनका सौदा कर दिया जाता था। शर्मसार कर देने वाली घटना के मुताबिक महिलाओं का सौदा गायभैंसों की तरह हजारो-लाखों में होता था। सुंदर महिला को लाखों में खरीदने वालों की कमी नहीं होती।

पलक झपकते ही उनका सौदा कर दिया जाता है जबकि उनकों इस बात की खबर तक नहीं होती। होटल में मजदूरी करके अपनी गरीबी के दिन काट रही महिला को होटल के मैनेजर व उसकी पत्नी व एक अन्य महिला सब्जबाग दिखाते हुए कोटा ले गए जहां उसे सुरेश ठाकुर नामी दबंग के द्वारा एक व्यक्ति को दो लाख सत्तर हजार में बेच दिया। इसके अलावा दो अन्य महिलाएं भी उनके चंगुल में फंसकर अपने परिवार से दूर हो चुकी हैं। खरीदार को विश्वास में लेते हुए पीडि़त महिला चालीस दिन के बाद अपने घर लौट आई है। उसने इस घटना का खुलासा करते हुए कार्रवाई की मांग। हालांकि पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए आरोपियों को दबोच लिया है। इस घटना से ऐसा लग रहा है कि आज भी समाज में एक ऐसा वर्ग है जो अपने स्वार्थ के चलते महिलाओं का शोषण कर रहा है। इसके अलावा दिल को दहला देने वाली दूसरी घटना भी इसी शहर की है जिसमें बहन के अपमान का बदला लेने को जीजा को बेदर्दी से मार दिया। इस अभाघिन ने भी पति के मौत बाद फांसी फंदे पर झूलकर मौत को गले लगा लिया। ये घटना भी कुछ दिन पहले अहमदाबाद में घटित आयशा आत्महत्या के प्रकरण से मेल खाती है।

जो पति व ससुरालवालों के उत्पीडऩ को सहते हुए अपने वैवाहिक जीवन की लाज रखती हैं। लेकिन जब धैर्य का बांध टूट जाता तो वह खुदकुशी जैसे खतरनाक कदम उठा लेती हैं। ये महिलाएं भले ही अपने जीवन को खत्म कर लेती हों लेकिन अपने पति से कभी भी धोखा नहीं करती, वह आजीवन अपने पति को वही सम्मान व प्यार देना चाहती हैं जो उन्होंने शुरू में किया था। कभी-कभी ना समझी और भावनाओं में बहकर लिए गए फैसले दु:खदाई साबित होते हैं। फिर भी हमारे सय समाज में जो घटनाएं घट रही हैं वह सोचने पर विवश कर रही हैं कि इस विकसित समाज में महिलाओं का शौषण यों किया जा रहा है? सरकार मिशन शति, महिला सशतिकरण का अभियान चलाकर महिलाओं में समानता का भाव पैदा करना चाहती है लेकिन इस तरह की घटनाएं सरकार के प्रयासों को प्रभावित कर रही हैं। महिलाओं के प्रति सम्मान देने वाले तमामा प्रयासों को मूर्त रूप देने के लिए इस सभ्य समाज को जागरूक होकर जनाआंदोलन चलाना होगा ताकि अबला कही जाने वाली महिलाएं भी सम्मान पा सकें।

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