थिएटर मालिकों की दादागिरी खत्म

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फिल्मों के लॉन्च और रिलीज की निरंतर हो रही घोषणाओं से स्पष्ट है कि महामारी के विकट दौर में भी फिल्म बिरादरी के सदस्य सक्रिय रहे। बाहरी गतिविधियां बंद होने से मिले समय में उन्होंने आगामी तैयारियों पर ध्यान दिया। यही कारण है कि शत-प्रतिशत क्षमता से थिएटर खुलने, कोविड टीका आ जाने और छिटपुट रूप से चल रही शूटिंग से उत्साहित निर्माताओं ने अपनी फिल्मों की रिलीज तारीखें और नई फिल्मों की घोषणाएं शुरू कर दी हैं। मनोरंजन के सूखे मैदान में इस बारिश से जल्द ही दर्शकों के लिए फिल्मों की फसल लहलहाएगी। खास बात यह कि इस बार ओटीटी के तौर पर एक नया बटाईदार भी मौजूद होगा।

पिछले साल पचास प्रतिशत क्षमता के साथ थिएटर खोलने की अनुमति के बावजूद सिनेमा के बाजार में हलचल नहीं हुई। थिएटर तो चालू हो गए, लेकिन दर्शकों और फिल्मों की तंगी रही। अब स्थितियां सामान्य होती दिख रही हैं। 17 फरवरी 2021 को अग्रणी प्रॉडक्शन कंपनी यशराज फिल्म्स ने 2021 में रिलीज होने वाली अपनी पांच फिल्मों की तारीखें घोषित कीं। इसके साथ ही अपनी-अपनी फिल्मों की रिलीज के लिए आतुर अन्य निर्माताओं ने भी फटाफट रिलीज की तारीखें सुनिश्चित करनी शुरू कर दीं। अब तक 75 से अधिक फिल्मों की रिलीज डेट्स आ चुकी हैं।

रिलीज कैलेंडर के मुताबिक अनेक शुक्रवारों को छोटी-बड़ी फिल्में टकरा रही हैं। इस महीने में ही 12 से 26 मार्च के बीच लगभग 25 फिल्में रिलीज होंगी। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि थिएटर में इन फिल्मों को कितने दर्शक मिल पाएंगे। इनमें से ज्यादातर फिल्मों में अपरिचित और नए कलाकार हैं। कुछ फिल्मों जैसे ‘रूही’ (राजकुमार राव और जाह्नवी कपूर), ‘संदीप और पिंकी फरार’ (अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा) और ‘मुंबई सागा’ (जॉन अब्राहम) में अवश्य परिचित और लोकप्रिय चेहरे हैं। इन फिल्मों में दर्शकों की उपस्थिति से तय होगा कि आगे क्या स्थिति बनेगी। फिर भी निर्माता बेधड़क अपनी फिल्मों के साथ कतार में खड़े हैं।

दरअसल, एक उम्मीद जताई जा रही है कि अप्रैल से स्थितियां सामान्य होने लगेंगी, क्योंकि दर्शकों के एक बड़े हिस्से को टीका लग चुका रहेगा। इस साल उम्मीद का पहला संकेत पोंगल के अवसर पर रिलीज तमिल सितारे विजय की फिल्म ‘मास्टर’ से मिला था। विजय को भी सुझाव दिया गया था कि वह किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आ जाएं, लेकिन अपने प्रशंसकों के उत्साह को देखते हुए विजय ‘मास्टर’ को लेकर थिएटर में गए। उनका आत्मविश्वास काम आया। इस फिल्म ने आरंभिक दो हफ्तों में ही 250 करोड़ से अधिक का कारोबार कर लिया। इसके साथ ही थिएटर ऑनलाइन रिलीज के अंतराल को कम करते हुए फिल्म तीन हफ्ते के अंदर ओटीटी पर आ गई थी। बता दें कि हिंदी फिल्म ‘शादी में जरूर आना’ के निर्माताओं ने अंतराल कम करने का प्रयास किया था तो थिएटर मालिकों ने फिल्म के शो कम कर दिए थे। थिएटर मालिकों की यह दादागिरी अब खत्म हो गई है।

नई स्थितियों में निवेश और मुनाफे को ध्यान में रखते हुए निर्माताओं, थिएटर मालिकों और ओटीटी प्लेटफॉर्म के बीच एक समझदारी विकसित हो रही है। थिएटर में रिलीज हुई पिछली कुछ फिल्मों से यह संकेत मिलने लगा है कि अब दर्शक सामान्य कोटि की फिल्मों के लिए थिएटर जाने को तैयार नहीं है। महामारी के दौर में ओटीटी की अनिवार्यता ने दर्शकों की रुचि बदली है। देश-विदेश की फिल्में, वेब सीरीज और शो देखने से उनके दृश्यानुभव और समझ का विस्तार हुआ है। मनोरंजन के लिए मात्र फिल्म और टीवी शो पर दर्शकों की निर्भरता खत्म हो चुकी है। दर्शक वैरायटी देख रहे हैं। संभवत: भारतीय दर्शकों की बदलती रुचि और प्रवृत्ति का ही ध्यान रखते हुए नेटफ्लिक्स ने हाल में 41 फिल्मों और शोज का निर्माण करने की घोषणा की। इनमें 13 फिल्में, 15 वेब सीरीज, 6 कॉमेडी शो, 4 डॉक्यूमेंट्री और 3 रियलिटी शो हैं।

आगामी समय में मनोरंजन के कारोबार का उल्लेखनीय हिस्सा ओटीटी हासिल कर लेगा। पिछले महीनों में सभी ओटीटी प्लैटफॉर्म्स के सब्सक्राइबर्स की बढ़ती संख्या इसका पुख्ता सबूत है। नेटफ्लिक्स की आधिकारिक घोषणा के वक्त मौजूद फिल्मकार करण जौहर ने स्पष्ट रूप से बताया कि दर्शक अब इवेंट और भव्य फिल्मों के लिए ही थिएटर में जाएंगे। फिल्मों के प्रचार और मिली जानकारी के आधार पर वे तय करेंगे कि फिल्म थिएटर में देखनी है या उसके ओटीटी प्लैटफॉर्म पर आने का इंतजार करना है। उधर ओटीटी प्लैटफॉर्म ओरिजिनल कंटेंट के तौर पर फिल्में खरीदना और स्ट्रीम करना जारी रखेंगे। नेटफ्लिक्स द्वारा घोषित 13 फिल्मों में से अधिकांश हिंदी की हैं और उनमें कार्तिक आर्यन और तापसी पन्नू जैसे लोकप्रिय स्टार हैं।

इस पर भी गौर करना जरूरी है कि इन फिल्मों के निर्माता फिल्म इंडस्ट्री के नियामक हैं। करण जौहर ने धर्मा प्रॉडक्शन की फिल्म ‘मीनाक्षी सुंदरेश्वर’ के बारे में बताया कि यह एक प्रेम कहानी है। पहले थिएटर फिल्म के तौर पर ही इसकी प्लानिंग हुई थी, लेकिन हमने महसूस किया कि दर्शक थिएटर जाकर प्रेम कहानियां देखने में रुचि नहीं ले रहे हैं। हमने अपना फैसला बदला। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब निर्देशक प्रेम कहानियां नहीं बना रहे।

हिंदी फिल्मों के नजरिए से यह महत्वपूर्ण विधात्मक शिफ्ट है। हम सभी जानते हैं कि दशकों से हिंदी फिल्म में मुख्य रूप से प्रेम कहानियां ही चलती रही हैं और ऐतिहासिक संदर्भ में उनकी प्रगतिशील सामाजिक भूमिका भी रही है। निस्संदेह कोविड-19 के बाद धीरे-धीरे खुल रहे भारतीय समाज में मनोरंजन की दुनिया के लिए 2021 परीक्षण और प्रयोग का वर्ष रहेगा। फिल्म और मनोरंजन के प्रति दर्शकों का पारंपरिक व्यवहार बदल चुका है। निर्माता-निर्देशक अधिक सचेत हो गए हैं। वे बदल रहे दर्शकों की अभिरुचि को प्रभावित करने की कोशिश में हैं। संक्रमण और परिवर्तन के इस दौर में एक चिंता भी उभर रही है कि कहीं भारतीय फिल्मों की भारतीयता और स्थानीयता विलुप्त न हो जाए। ग्लोबल होने के चक्कर में हम कहीं अपनी लोकल ताकत और खूबियां न खो दें।

अजय ब्रह्मात्मज
(लेखक के ये निजी विचार हैं)

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