बाजारों पर संकट की आशंका

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यह झकझोरने वाली छवि थी। जब 2020 में महामारी से मरने वालों की संख्या बढ़ रही थी, वैश्विक गिरावट के बीच वित्तीय बाजार सरकार के प्रोत्साहन से उत्साह में थे। ज्यादातर लोगों को उम्मीद थी कि अर्थव्यवस्थाओं की रिकवरी से यह खुशी जारी रहेगी। लेकिन अब संकेत मिल रहे हैं कि रिकवरी तेजी में बदल सकती है और जरूरत से ज्यादा गर्म होती इकोनॉमी मार्केट की पार्टी खत्म कर सकती है। यह साल, 2020 का प्रतिबिंब साबित हो सकता है, जहां बढ़ते आर्थिक विकास के बीच बाजार की गति धीमी हो रही है।

इसका कारण समझने के लिए पैसे पर नजर रखें। पिछले मार्च में यूएस फेडेरल रिजर्व द्वारा महामारी राहत उपाय की पहली घोषणा के बाद बाजार ने तेजी पकड़ी और बढ़ता गया। सर्कुलेशन में रहे करीब 20% डॉलर केवल 2020 में ही छपे। बड़े केंद्रीय बैंक भी फेडरल के रास्ते चले और सरकारों ने बड़े राहत पैकेज भी दे दिए। अमेरिका की प्रयोज्य आय 70 साल की सबसे तेज गति से बढ़ी, लेकिन ज्यादातर खर्च नहीं हो पाई।

अमेरिकियों ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद, अब तक की सर्वोच्च दर से बचत की और अतिरिक्त 1.7 ट्रिलियन डॉलर जमा किए, जो 2020 की आय का 16% है। बैंकों में ज्यादा पैसा व लॉकडाउन में ज्यादा समय होने के कारण कई कामगारों ने बाजार में दांव खेलना शुरू किया। अमेरिका के 4.9 करोड़ ऑनलाइन ब्रोकरेज खातों में 1.3 करोड़ 2020 में खुले। अप्रैल में जिस हफ्ते प्रोत्साहन पैकेज के चेक मिले, मध्यमवर्गीय अमेरिकियों द्वारा ट्रेडिंग 90% बढ़ गई।

दक्षिण कोरिया से लेकर भारत तक, लोगों ने तेजी से शेयर खरीदे। इसमें बड़े विजेता, बड़ी वृद्धि वाले स्टॉक्स थे, खासतौर पर अमेरिका और चीन में। दोनों मिलकर 2020 के ज्यादातर बाजार लाभ के लिए जिम्मेदार थे।

जब वायरस कमजोर पड़ जाएगा, तब सारा पैसा कहां जाएगा? जब उपभोक्ता लॉकडाउन से उबरेंगे, अतिरिक्त बचत तेजी से गिरेगी। रूढ़िवादी अनुमान से भी, केवल अमेरिका में दबी हुई मांग खुलने से GDP में दो-तीन अंकों की बढ़ोतरी हो सकती है। सबका अनुमान है कि 2021 में वैश्विक जीडीपी वृद्धि 5% से थोड़ी ज्यादा रहेगी। मेरी रिसर्च टीम मानती है कि दुनिया में 6% तक और अमेरिका में यह 8% तक रह सकती है।

बचत की अधिकता व नीति निर्माताओं में जरूरत से ज्यादा प्रोत्साहन देने की गलती करने की उत्सुकता को देखते हुए मुझे लगता है कि दूसरे अनुमान लगाने वाले रिकवरी को कम आंक रहे हैं। विडंबना यह है कि तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था शायद बाजार के लिए अच्छी न हो। बचतकर्ता फिर खरीदार बन जाएंगे। घूमने-फिरने, अच्छा खाने व अन्य सेवाओं की बढ़ती मांग, महामारी से परेशान उद्योगों की क्षमता निचोड़ लेगी। बिजनेस बंद होने से महंगाई कम होने का असर, सप्लाई की कमी से महंगाई बढ़ने के संभावित असर में बदल जाएगा, जो शिपिंग, एयरलाइंस व सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में दिखने लगा है।

बॉन्ड मार्केट में भी कीमतें बढ़ने की शुरुआत हो रही है और ज्यादा लाभ की संभावना स्टॉक से पैसा निकाल सकती है, जो अभी ब्याज दर में उतार-चढ़ाव को लेकर ज्यादा असुरक्षित हैं। पिछले साल स्टॉक्स के मूल्यांकन को असमान्य बढ़त मिली थी क्योंकि दरें बहुत निचले स्तर पर पहुंच गई थीं। तेजी से बढ़त काफी बड़ा झटका दे सकती है। साथ ही, तेजी खासतौर पर ग्रोथ स्टॉक्स की वजह से थी, जो ब्याज दरों पर सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं। स्टॉक मार्केट सूचकांकों पर अब इन्हीं का दबदबा है।

लंबी अवधि की उच्च ब्याज दर अमेरिका और चीन में बड़े टेक स्टॉक्स की असाधारण तेज गति खत्म कर सकती हैं और धारा को नए देशों व उद्योगों की तरफ मोड़ सकती है। पिछले साल के सबसे चर्चित शब्दों में वायरस, वर्चुअल, वर्क फ्रॉम होम, मंदी शामिल थे। इनकी जगह अब वैक्सीन, रियल वर्ल्ड, ऑफिस वापसी और रिफ्लेशन (सरकारी प्रोत्साहन से अर्थव्यवस्था का आउटपुट बढ़ाना) ले सकते हैं। यह बदलाव वित्तीय बाजारों के लिए कल्पना से कहीं ज्यादा विध्वंसकारी हो सकते हैं, जो पिछले साल की थीम और लंबी अवधि की कम ब्याज दरों पर ही अटक गए हैं।

बाजारों का वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़े बदलावों को कमतर आंकने का लंबा रिकॉर्ड है। उदाहरण के लिए 1980 के दशक में, महंगाई कम होने से ब्याज दरों में भारी गिरावट आई, जिसका बाजारों पर ऐसा असर हुआ, जैसे ज्यादातर निवेशकों ने कभी नहीं देखा था। अब जोखिम यह है कि महंगाई फिर उभर रही है और बॉन्ड आय उम्मीद से ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, जिससे रिकवरी के दौरान कमाई में वृद्धि बहुत ज्यादा हो जाएगी। इसका असर आसानी से 2020 के उछाल को खत्म कर देगा, जिससे वैश्विक आर्थिक तेजी के बावजूद बाजारों में कदम पीछे खींचने के लक्षण देखे जाएंगे।

रुचिर शर्मा
(लेखक और ग्लोबल इंवेस्टर हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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