माघी पूर्णिमा कल, नदी में स्थान और दान-पुण्य की है परंपरा

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हिन्दी पंचांग के अनुसार माघ मास की पूर्णिमा शनिवार, 27 फरवरी को है। इसे माघी पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन माघ माह खत्म हो जाएगा। अगले दिन यानी 28 फरवरी से फाल्गुन माह शुरू हो जाएगा। पूर्णिमा पर नदी में स्नान करने की और दान-पुण्य करने की परंपरा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार माघी पूर्णिमा पर प्रयागराज के संगम पर स्नान करने का महत्व काफी अधिक है। अगर गंगा नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। स्नान करते समय गंगा नदी का ध्यान करें। पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करनी चाहिए।

कर सकते हैं ये काम भी: पूर्णिमा भगवान सत्यनारायण की कथा भी करनी चाहिए। इस दिन सुबह स्नान के बाद भगवान विष्णु, लक्ष्मी, बालकृष्ण की पूजा करें। पूजा में दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, ऊँ महालक्ष्यै नम, कृं कृष्णाय नम मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। इस तिथि पर पितरों के लिए धूप ध्यान जरूर करें। किसी नदी में तर्पण करें। जरूरतमंद लोगों को खाना और धन दान करें। नए वस्त्र, कंबल, गुड़, फल आदि चीजों का दान भी करें। किसी मंदिर में शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल और चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, हार-फूल सहित अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। ऊँ नम शिवाय मंत्र का जाप करें। धूपदीप जलाएं। हनुमानजी के सामने धूप-दीप जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। अगर आपके पास पर्याप्त समय है तो सुंदरकांड का पाठ करें।

माघी पूर्णिमा से जुड़ी खास बातें: पं. शर्मा के अनुसार माघी पूर्णिमा पर सभी देवीदेवता प्रयागराज के संगम पर स्नान करने आते हैं। प्रयाग में एक मास तक कल्पवास करते हैं। कल्पवास करने वाले साधु-संत इस पूर्णिमा के बाद अपने-अपने स्थान पर लौटने लगते हैं। इस दिन तिल और कंबल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।

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