..आप साधारण बनेंगे या लीडर ?

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हर इंसान के जीवन में ऐसा समय जरूर आता है, जब जिंदगी उसे बहुत भावुक बना देती है। भावुक होना ही हमें इंसान बनाता है। मुझे यकीन है कि जब आपकी पसंदीदा टीम हारती होगी तो आप भावुक होते होंगे। या जिंदगी में कभी असफलता मिलती होगी तो भावुक हो जाते होंगे। कोई करीबी छोड़कर जाता होगा, तो आप भावुक हो जाते होंगे। बतौर इंसान हम भावुक होने से नहीं बच सकते।

वास्तव में अगर आप भावुक नहीं हैं, तो आपको रोबोट कहा जाएगा। तो जिंदगी कभी न कभी भावुक करेगी ही। यहां यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आप क्यों भावुक हुए, जरूरी यह है कि उसके बाद क्या होता है। जिस तरह से मैं अपनी भावनाओं से बाहर आया, मैंने खुद से कहा कि यह मेरी जिंदगी का निर्णायक मोड़ साबित होगा। मैं अपने आंसू बर्बाद नहीं होने दूंगा। यह उन भावनाओं के बारे में नहीं है, जिनका मैंने सामना किया।

यह इस बारे में है कि मैंने उन भावनाओं के बाद वापसी कैसे की। मैंने क्या फैसले लिए, मैंने कौन-से विकल्प अपनाए, मैंने क्या पहल की। मैं इन्हीं चीजों से जिंदगी में बहुत तेजी से आगे बढ़ा। जब मैं 22 साल का था, तब दुबई में सॉफ्टवेयर के पूरे एक विभाग का प्रमुख था। मेरे विभाग में 27 लोग थे, जो मुझसे उम्र में बड़े थे। यहां मैं यह नहीं बताना चाहता कि मैंने जिंदगी में कुछ महान हासिल कर लिया था।

मैंने इससे भी महान चीजें हासिल कीं। मैं बस यह बताना चाहता हूं कि 99% दुनिया किसी भावना में बंधी रहती है। उदास, अवसाद, चिंता, दुखी, हतोत्साहित, रोते रहना। अंतर यह था कि मैं उन भावनाओं से बंधा नहीं रहा। जिंदगी आपको भावुक करेगी। आप उन भावनाओं से निकलेंगे कैसे? विराट कोहली इंग्लैंड गए, आउट हुए, इंग्लैंड में सबसे कम एवरेज रहा। जब विराट कोहली बैटिंग के लिए आते, हर बॉलर कहता है, मुझे बॉल दो, मुझे बॉल दो, मैं उनका विकेट लूंगा क्योंकि वे ऑफ-स्टम्प के बाहर नहीं खेल सकते।

विराट फिर इंग्लैंड जाते हैं और तीन शतक बनाते हैं। पूरी दुनिया उन्हें सर्वश्रेष्ठ बैट्समैन कहने लगती है, किंग कोहली नाम देती है। यहां वे भावनाएं मायने नहीं रखतीं, जिनका उन्होंने सामना किया, बल्कि यह मायने रखता है कि उन्होंने वापसी कैसे की।

मुझे जिंदगी में कितनी बार असफलताएं मिलीं, मुझे जिंदगी ने कितनी बार धोखा दिया, कितनी बार मुझे ऐसी परिस्थितियों में डाला गया, जिनके लिए मैं तैयार नहीं था, इन सभी ने मुझे भावुक किया। ज्यादातर लोग इन्हीं भावनाओं में उलझे रहते हैं, इन्हीं में बने रहते हैं। अगर आप अपने दादा-दादी, नाना-नानी या माता-पिता से उनकी जिंदगी की किसी कहानी के बारे में बात करेंगे, तो उनकी कहानी कुछ ऐसी होगी।

उन्हें जिंदगी में कभी असफलता मिली होगी, किसी ने धोखा दिया होगा, कोई फैसला गलत हो गया होगा और वे बहुत दुखी रहे होंगे। और बहुत से लोग अब भी जीवन में खुद को असफल मानते होंगे क्योंकि वे उस भावना में बने रहे। जिंदगी में सबसे आसान है भावुक बने रहना, दुखी बने रहना।

मैं यह नहीं कहता कि भावुक न हों। भावुक होना इंसान की निशानी है। भावनाओं से गुजरने के बाद क्या होता है? क्या आप भावना में डूबे रहते हैं या ऐसा समय आता है कि आप बांहें ऊपर चढ़ाते हैं और जिंदगी से कहते हैं कि मैं वापस आ गया। जो भी जिंदगी में सफल रहा है, आप पाएंगे कि उनकी जिंदगी की कहानी कुछ ऐसी रही। जिंदगी में कुछ हुआ, जिसने उन्हें भावुक कर दिया।

जैसे किसी संबंध को खोना, कोई असफलता, यह कुछ भी हो सकता है। आप उन सभी लोगों को देखें जिन्होंने कुछ बड़ा हासिल किया। स्टीव जॉब्स से लेकर मार्क जकरबर्ग, जेफ बेजोस और बिल गेट्स तक। इन सभी में एक चीज समान पाएंगे। जिंदगी में असफलता, फिर बहुत सारी भावनाएं। वे उन भावनाओं से बाहर आकर बोले, देखिए मैंने कौन-से विकल्प चुने, क्या फैसले लिए, कैसे जिंदगी में वापसी की।

बस यही मायने रखता है कि भावनाओं से गुजरने के बाद आपने क्या किया। यही तय करता है कि आप जिंदगी में साधारण बने रहेंगे या नेतृत्व करने वाले बनेंगे। भावुक होने के बाद वापसी करना ही दुनिया का नेतृत्व करने वालों को, उनका अनुसरण करने वालों से अलग बनाता है।

महात्रया रा
(लेखक आध्यात्मिक गुरु हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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