भारत-पाक युद्ध टले तो बहुत अच्छा होगा

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पाकिस्तान के आतंकवादी अड्डों पर भारतीय हमले के बाद आज दिन भर जो घटनाएं घटी हैं, उनसे हम क्या नतीजा निकालें ? किस पर विश्वास करें ? हर घंटे बयान बदले जा रहे हैं, पल्टियां खाई जा रही हैं और अपना पलड़ा भारी है, यह बताने की कोशिश भारत और पाकिस्तान, दोनों के प्रवक्ता कर रहे हैं। दोनों देशों के प्रवक्ता जहाजों, पायलटों और दुर्घटनाओं के बारे में परस्पर विरोधी दावे कर रहे हैं और उनमें फेर-बदल भी कर रहे हैं। दोनों तरफ की कोशिश यह है कि अपनी-अपनी सरकारों को जनता की नजर में ऊंचा उठाए रखें।

वास्तव में इमरान खान युद्ध के विरुद्ध हैं तो उन्हें बयानबाजी करने की बजाय सीधे नरेंद्र मोदी से बात करनी चाहिए थी। यदि वे वास्तव में आतंकवाद के विरोधी हैं तो उन्हें आतंकवादी अड्डों पर भारतीय हमले का स्वागत करना चाहिए था। फौज के डर से मानों वे स्वागत नहीं कर सकते थे तो उन्हें कम से कम मौन रहना चाहिए था। भारत ने कितना संयम रखा ! न तो किसी फौजी अड्डे को अपना निशाना बनाया और न ही उसने एक भी नागरिक को नुकसान पहुंचाया। खुद पाकिस्तान के प्रवक्ता ने स्वीकार किया है कि भारतीय जहाजों की बमबारी बेकार हो गई, क्योंकि तीन मिनिट में ही उन भारतीय जहाजों को भगा दिया गया।

यदि यह सच है तो पाकिस्तान को गुस्सा होने का कोई कारण नहीं है। भारत कहता है कि उसने बालाकोट में 300 आतंकियों और मसूद अहजर के रिश्तेदारों को मार गिराया है लेकिन पाकिस्तान इस पर चुप है। इसका मतलब यह है कि पाकिस्तान के खिलाफ कुछ हुआ ही नहीं। उसकी भारत-नीति के सबसे बड़े हथियार आतंकवादी भी सुरक्षित है। तब पाकिस्तान की संसद, सरकार, अखबार और चैनल युद्ध का उन्माद क्यों फैला रहे हैं ? शर्म-शर्म क्यों कर रहे हैं?

आज दोनों तरफ के जहाज और हेलिकाप्टर के गिरने की खबर के बाद पाकिस्तानी फौज और इमरान, दोनों ने शांति की अपील की है। यह अपील सुनने में बहुत अच्छी लगती है लेकिन यह सच्ची है, यह दिखाने के लिए भी तो इमरान को कोई ठोस कदम उठाना था। आज के झगड़े की जड़ तो आतंकवादी ही हैं। यदि इमरान आतंकवादी सरगनाओं को पकड़कर जेल में डाल देते या उनमें से दो-तीन को भी भारत के हवाले कर देते तो माना जाता कि उनकी पहल में कुछ दम है। उनके साथ कुछ काम की बात हो सकती है।

आज सारी दुनिया की नजर में पाकिस्तान गुनाहगार हो गया है। उसकी आर्थिक हालत खस्ता है। यदि दोनों देश युद्ध की आग में कूद गए तो इस बार दोनों का बहुत गहरा नुकसान होगा। इस समय दोनों देशों की सरकारों ने अपनी-अपनी जनता को संतुष्ट कर दिया है। अब भी वे दोनों देशों को युद्ध में झोकेंगे तो अपनी-अपनी जनता का ही भयंकर नुकसान करेंगे।

    डॉ. देव प्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ प्रत्रकार हैं)

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