अमेरिकी संसद पर हमला: ट्रंप ही हैं अमेरिकी कलंक

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डोनाल्ड ट्रंप ने सिद्ध कर दिया है कि वह अमेरिका के कलंक हैं। अमेरिका के इतिहास में राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर कुछ विवाद कभी-कभी जरुर हुए हैं लेकिन इस बार ट्रंप ने अमेरिकी लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाकर रख दी हैं। उन्होंने चुनाव परिणामों को रद्द करते हुए यहां तक कह दिया कि वे व्हाइट हाउस (राष्ट्रपति भवन) खाली नहीं करेंगे। वे 20 जनवरी को जो बाइडन को राष्ट्रपति की शपथ नहीं लेने देंगे। उनके इस गुस्से को सारी दुनिया ने तात्कालिक समझा और उनके परिवार के सदस्यों की सलाह पर वे कुछ नरम पड़ते दिखाई पड़े लेकिन अब जबकि अमेरिकी संसद (कांग्रेस) के दोनों सदन बाइडन के चुनाव पर मोहर लगाने के लिए आयोजित हुए तो ट्रंप के समर्थकों ने जो किया, वह शर्मनाक है।

वे राजधानी वाशिंगटन में हजारों की संख्या में इकट्ठे हुए और उन्होंने संसद भवन पर हमला बोल दिया। उत्तेजक नारे लगाए। तोड़-फोड़ की। धक्का-मुक्की की और गोलियां भी चलाईं। चार लोग मारे गए। एक महिला को पुलिस की गोली लगी। भीड़ ने इतना आक्रामक रुख अपनाया कि सांसदों ने एक बंद पड़े भवन में घुसकर अपनी जान बचाई। इन लोगों को भड़काने की जिम्मेदारी डोनाल्ड ट्रंप की ही है, क्योंकि वे व्हाइट हाउस में बैठे-बैठे अपनी पीठ ठोकते रहे। खुद उनके बीच नहीं गए।

ट्रंप की इस घनघोर अराजक वृत्ति के बावजूद अमेरिकी संसद के दोनों सदनों ने बाइडन और कमला हैरिस की जीत पर अपनी मुहर लगा दी। उन विवेकशील रिपब्लिकन सांसदों पर हर लोकतंत्रप्रेमी गर्व करेगा, जिन्होंने अपने नेता ट्रंप के खिलाफ वोट दिया। ट्रंप तुरंत समझ गए कि उनकी अपनी पार्टी के नेता उनका विरोध कर रहे हैं। अब उन्हें राष्ट्रपति भवन में कोई टिकने नहीं देगा। उनकी हवा खिसक गई। उन्होंने हारकर बयान जारी कर दिया है कि 20 जनवरी को सत्ता-परिवर्तन शांतिपूर्वक हो जाएगा लेकिन उन्होंने यह भी कहा है कि उनका असली संघर्ष अब शुरु होगा।

वे ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि उन्होंने अपने चार साल के कार्यकाल में मानसिक रुप से अमेरिका के दो टुकड़े कर दिए हैं। दूसरे शब्दों में बाइडन की राह में अब वे कांटे बिछाने की कोशिश जमकर करेंगे। अमेरिका के लिए बेहतर यही होगा कि रिपब्लिकन पार्टी ट्रंप को बाहर का रास्ता दिखा दे। जिन रिपब्लिकन सांसदों ने इस वक्त ट्रंप की तिकड़मों को विफल किया है, यदि वे पहल करेंगे तो निश्चय ही अमेरिकी लोकतंत्र गड्ढ़े में उतरने से बच जाएगा।

डा. वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

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