साल की पहली सफला एकादशी कल

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हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व हैए कुछ लोग तो प्रत्येक एकादशी को पूजन और व्रत करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से की जाती है। पौष मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी भी कहते हैंए 9 जनवरी को साल की पहली एकादशी और सफला एकादशी एक साथ है। शास्त्रों में एकादशी की तिथि को शुभ और सर्वश्रेष्ठ तिथि माना गया है। शास्त्रों अनुसार एकादशी व्रत रखने वाले लोगों के जीवन में सुख समृद्धि में वृद्धि और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। लेकिन शास्त्रों में इस व्रत को करने के कुछ नियम भी बताए गए है। जिनका पालन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। मेरठ सूरजकुंड स्थित बाबा मनोहर नाथ मंदिर की महामंडलेश्वर नीलिमानंद महाराज के अनुसार एकदशी तिथि 8 जनवरी को को रात 9ण्40 से प्रारंभ होकर 9 जनवरी शाम 7ण्17 बजे तक रहेगी। सालभर में 24 एकादशी आती है। इन सभी में चावल का सेवन करना वर्जित है। इसके अलावा अपने व्यवहार में संयम भी लाना चाहिए। इस दिन सुबह जल्दी उठकर पूजा अर्चना करनी चाहिए। लेकिन शाम को कभी भी सोना नहीं चाहिए। साथ ही अपने क्रोध पर भी नियंत्रण रखना चाहिए। एकादशी के दिन गंगा स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। घर में सुख शांति आती हैए और सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है। इसके साथ ही सफला एकादशी के दिन गरीबों को दान दक्षिणा देने का भी विशेष महत्व है। पद्म पुराण के अनुसार जो लोग सफ ला एकादशी का व्रत रखते हैंए उनके सभी पाप राजा महिष्मान के ज्येष्ठ पुत्र लुम्पक के पापों की तरह ही नष्ट हो जाते हैं, और उनके मन में अच्छे विचार आते हैं। जिससे वह अच्छा आचरण करने लगते हैं। अंत में भगवान विष्णु की कृपा से वह मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।

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