मनुष्य द्वारा सच्चे मन से की गई प्रार्थना में बहुत शक्ति होती है। चाहे वो एक घंटे की हो या एक मिनट की। सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वाले भक्त ईश्वर अवश्य सहायता करते हैं। अक्सर लोगों के पास ये बहाना होता है, की हमारे पास वक्त नहीं। मगर सच तो ये है कि ईश्वर को याद करने का कोई समय नहीं होता। इस बारे में एक कथा प्रचलित है कि एक वृद्ध महिला एक सजी की दुकान पर गई। उसके पास सब्जी खरीदने के पैसे नहीं थे। वो दुकानदार से प्रार्थना की कि उसे सब्जी उधार दे दे पर दुकानदार मना कर दिया। उसके बार-बार आग्रह करने पर दुकानदार खीज कर बोला, कि तुहारे पास कुछ ऐसा है, जिसकी कोई कीमत हो, तो उसे इस तराजू पर रख दो, मैं उसके वजन के बराबर सब्जी तुम्हे दे दूंगा। वृद्ध महिला कुछ देर सोच में पड़ गई।
क्योंकि उसके पास ऐसा कुछ भी नहीं था। कुछ देर सोचने के बाद उसने एक मुड़ा-तुड़ा कागज का टुकड़ा निकाला और उस पर कुछ लिख कर तराजू पर रख दिया। दुकानदार ये देख कर हंसने लगा। फिर भी उसने थोड़ी सब्जी उठाकर तराजू पर रख दिया। आश्चर्य कागज वाला पलड़ा नीचे ही रहा और सब्जी वाला ऊपर उठ गया। इस तरह उसने और सब्जी रखी पर कागज वाला पलड़ा नीचे ही रहा। तंग आकर दुकानदार उस कागज को उठा कर पढ़ा और हैरान हो गया। कागज पर लिखा था हे श्री कृष्ण! तुम सर्वज्ञ हो, अब सब कुछ तुहारे हाथ में है। दुकानदार को अपनी आंखों पर यकीन नहीं हो रहा था। उसने उतनी सब्जी वृद्ध महिला को दे दी। पास खड़े एक अन्य ग्राहक ने दुकानदार को समझाया कि दोस्त, आश्चर्य मत करो। केवल श्री कृष्ण ही जानते हैं कि प्रार्थना का क्या मोल होता है। जो लोग सच्चे मन तथा नि:स्वार्थ भाव से प्रभु की उपासना करते हैं तो प्रभु भी संकट के समय में लाज बचाकर उनकी सहायता करते हैं। उन्हें किसी प्रकार का कोई कष्ट नहीं होने देते हैं। पर शर्त है कि वह भक्ति का मार्ग न छोड़ें।