बाइडेन की राह आसान नहीं

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वोटों की गिनती के आधार पर अमेरिकी मीडिया ने जो बाइडेन को राष्ट्रपति निर्वाचित घोषित कर दिया है। लेकिन अभी डॉनल्ड ट्रंप ने हार नहीं मानी है। वे और उनके समर्थक लगातार ये कह रहे हैं कि उनसे ये चुनाव चुराया गया है। ट्रंप इस रणनीति पर चुनाव से काफी पहले से चल रहे थे। उन्हें अंदाजा था कि कोरोना महामारी के कारण इस बार बड़ी संया में लोग डाक से वोट भेजेंगे। उन्होंने शुरू से डाक से आने वाले वोटों की वैधता पर सवाल खड़ा किया और अपने समर्थकों से कहा कि वे बूथ पर जाकर मतदान करें। इस बार रिकॉर्ड संया में मतदान हुआ। तकरीबन साढ़े 15 करोड़ मतदाताओं ने वोट डाले, जिनमें से दो दिहाई ने डाक से वोट भेजे। अब ट्रंप कह रहे हैं कि डाक से वोट भेजने के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ है। इसे जगह-जगह उनकी पार्टी कानूनी चुनौती दे रही है। ट्रंप का कहना है कि जब तक इन याचिकाओं का निपटारा नहीं हो जाता, बाइडेन को विजेता घोषित करना गलत है। याचिकाओं पर फैसला कुछ भी हो, यह साफ है कि ट्रंप ने इस चुनाव की साख पर सवाल उठा दिया है। अब उनके कट्टर समर्थकों को समझाना लगभग नामुमकिन है कि उनके नेता को वैध वोटों से हराया गया।

इसीलिए जब अपने विजय भाषण में जो बाइडेन ने जमों पर मरहम लगाने और देश विभाजन को पाटने की बात की, तो ये सवाल उठता रहा कि अपने अच्छे इरादों के बावजूद या वे ऐसा कर पाएंगे। आज अमेरिका बेहद ध्रुवीकृत समाज है। सोशल मीडिया के जरिए देश में अलग-अलग नैरेटिव बना रखा गया है। इसलिए एक पक्ष की बात दूसरा पक्ष ना सुनता है और उसकी भावना समझने की कोशिश करता है। और यही बाइडेन प्रशासन की सबसे बड़ी चुनौती होगी। और इसलिए अमेरिकी मीडिया के एक हिस्से ने कहा है कि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बावजूद ट्रंप रेड (रिपब्लिकन पार्टी का प्रतीक रंग) अमेरिका के राष्ट्रपति बने रहेंगे। फिलहाल, डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन ने इलेटोरल कॉलेज के 270 से ज्यादा वोट हासिल कर लिए हैं, जो जीत के लिए जरूरी हैं। लेकिन डॉनल्ड ट्रंप ने मामला उलझा दिया है। मतगणना पूरी होने के पहले ही जीत का दावा कर उन्होंने अमेरिका में अभूतपूर्व संकट खड़ा कर दिया है। मिशिगन राज्य के चुनाव नतीजे को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की।

इन बातों का अंदेशा पहले से था। अब जाहिर है, वे हार नहीं मानने जा रहे हैं। जबकि अमेरिका हार मानना और जीते प्रत्याशी को बधाई देना एक पारंपरिक अनिवार्यता है। ऐसा ना करने का मतलब चुनावी नतीजे को अस्वीकार करना होगा, जैसाकि उन देशों मे होता है, जहां लोकतंत्र की स्वस्थ परंपरा नहीं है। ट्रंप के इस रवैये का या परिणाम होगा, फिलहाल कहना मुश्किल है। लेकिन आशंका है कि इससे अमेरिका एक बड़ी सामाजिक अशांति की तरफ बढ़ सकता है। इस बार कोरोना महामारी के कारण मतगणना देर तक चली है। मगर बुधवार को अभी जबकि काफी मतगणना बाकी थी, ट्रंप ने एलान कर दिया कि ‘हम चुनाव जीतेंगे और जहां तक मेरी बात है तो हम पहले ही जीत चुके हैं। बेशक ट्रंप को उससे ज्यादा समर्थन मिला, जितना ओपिनियन पोल्स में बताया जा रहा था। बल्कि उनकी पार्टी ने सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के चुनाव में कहीं बेहतर प्रदर्शन किया। मगर चुनाव नतीजों को चुनौती देकर ट्रंप ने अपनी पार्टी के लिए भी शर्मनाक स्थिति पैदा कर दी है।

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