सार गीता का सार By admin - October 29, 2020 0 685 Share Facebook Twitter Google+ Pinterest WhatsApp सुख-दुख, लाभ हानि और जीत-हार की चिंता ना करके मनुष्य को अपनी शक्ति के अनुसार कर्तव्य कर्म करना चाहिए ऐसे भाव से कर्म करने पर मनुष्य को पाप नहीं लगता