सऊदी कैसे बना पाकिस्तान का खास

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अमरीका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान के पाकिस्तान दौरे पर एक ट्वीट किया है। इस ट्वीट में उन्होंने 1976 की एक न्यूज रिपोर्ट के कतरन को शेयर किया है। सऊदी अरब के तत्कालीन किंग खालिद के छह दिवसीय पाकिस्तान दौरे की है। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को उम्मीद थी कि सऊदी वित्तीय मदद बढ़ाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह सऊदी किंग का पहला पाकिस्तान दौरा है।

इसी रिपोर्ट में एक हिस्से की तस्वीर को ट्वीट करते हुए हुसैन हक्कानी ने लिखा है कि यह 1976 की न्यूज रिपोर्ट है। 43 साल बाद, सऊदी का दूसरा नेता और वही उम्मीदें? हुसैन हक्कानी के इस ट्वीट पर पाकिस्तानियों ने समर्थन भी किया है। रविवार की रात सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान पाकिस्तान पहुंचे तो मानो पूरा पाकिस्तान ठहर गया हो। प्रिंस सलमान पहली बार पाकिस्तान पहुंचे हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख सलमान के स्वागत में एयरपोर्ट पर खड़े थे। खुद इमरान खान गाड़ी चलाकर सलमान को अपने आवास पर ले आए। दोनों की मुलाकात में इमरान खान की बॉडी लैंग्वेज से साफ झलक रहा था कि वो अपनी हर बात में आभार जता रहे है।

सलमान के दौरे को लेकर पाकिस्तानी मीडिया और सत्ता में महीनों से हलचल थी। पाकिस्तानी मीडिया में तो रोज कयास लगाए जाते थे कि सलमान इस दौरे में पाकिस्तान को कितने अरब डॉलर की मदद करेंगे। दरअसल पाकिस्तान अपने अस्तित्व में आने के बाद से सबसे भयानक आर्थिक संकट से गुजर रहा है। हालात ये है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार 9 अरब डॉलर है। पाकिस्तान को सलमान के दौरे से बेशुमार उम्मीदें है। लेकिन क्या पाकिस्तान के मर्ज की दवा सऊदी है या फिर पाकिस्तान के पास सऊदी के अलावा कोई विकल्प नहीं है? सऊदी अरब को पाकिस्तान सुरक्षा का भरोसा दिलाता है। पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश है और उसे लगता है कि इस हथियार के दम पर मध्य-पूर्व में टकराव की स्थिति बनी तो वो सऊदी के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।

इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहले विदेशी दौरे में कहा था कि पाकिस्तान किसी बाहरी ताकत को सऊदी पर हमला नहीं करने देगा। अभी सऊदी में 25 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी काम करते है, इसमें में लगभग मजदूर हैं। ये हर साल पाकिस्तान में अपने परिवारों के लिए 5 से 6 अरब डॉलर की रकम भेजते हैं और ये पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की लिए काफी अहम है। अरब न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब इंटेलिजेंस के प्रमुख प्रिंस तुर्की बिन फैसल ने पाकिस्तान और सऊदी के रिश्तों के बारे में कहा था कि संभवतः दो देशों के बीच का यह सबसे निकटम संबंध है। 1960 के दशक से ही पाकिस्तान सैनिक सऊदी के शाही शासन की सुरक्षा में लगे हैं। इसके साथ ही पाकिस्तान सऊदी के सैनिकों और पायलटों को ट्रेनिंग देता है। 1969 में पाकिस्तान ने यमन की सेना के आक्रमन को रोकने में मदद की थी।।

लेखक
राजीव कुमार

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