दुनिया के महानतम डिजिटल ‘हिन्दू राष्ट्र कैलासा’ की स्थापना का पहले दावा कर चुके रेप आरोपी और भगोड़े नित्यानंद ने अब खुद का ‘रिजर्व बैंक’ और मुद्रा लांच करने का ऐलान किया है। नित्यानंद के सपने का साम्राज्य प्राइवेट कंपनियों और नॉन-प्रॉफिट संगठनों के एक पेचीदा जाल पर टिका है। ये जाल किसी ख्वाब में नहीं असल दुनिया में ही बिछा हुआ है। इंडिया टूडे ने इस स्वयंभू बाबा से जुड़े 13 ऐसे संगठनों की जानकारी हासिल की है, जो पिछले एक साल से अमेरिका, ब्रिटेन और एशिया में उभरे हैं. सामाजिक-आर्थिक ग्रुप का ये गड़बड़झाला इस अर्ध-आभासी ‘कैलासा’ और इसके बैंक, शैक्षणिक संस्थानों जैसे वेलफेयर ढांचे की नींव हो सकता है। इस हफ्ते की शुरुआत में, नित्यानंद ने बताया कि कैसे वह फन्ड्स को चैनलाइज करने के लिए एनजीओ के नेटवर्क का उपयोग करने का इरादा रखता है। नित्यानंद ने कहा,लोग दुनिया भर में दान कर रहे हैं, स्थानीय सरकारों के साथ काम कर रहे हैं योंकि किसी भी देश में कोई भी दान उस देश के एनजीओ से जुड़ा है, जो देश के कानूनों का पालन करते हैं, ये समूचा ढांचा पूरी तरह तैयार है। अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष फाइलिंग में, ‘कैलासा’ की ओर से दर्ज कराया गया है कि इसका उद्देश्य हिंदुओं के लिए एक दूतावास बनाना है योंकि ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां प्रामाणिक हिंदू धर्म का अभ्यास किया जाता है।
अमेरिकी सपने को जीना: हालांकि इस दागी आध्यात्मिक नेता का मौजूदा ठिकाना कहां है, ये रहस्य के पर्दे में है। कॉरपोरेट फाइलिंग की स्टडी से खुलासा होता है कि पूरे अमेरिका में नित्यानंद के फुटप्रिंट्स फैले हैं। सिर्फ अमेरिका में पिछले एक वर्ष के दौरान नित्यानंद और उसके ”कैलासा” से जुड़े कम से कम 10 संगठनों को स्थापित किया गया है। एक को छोड़कर ये सभी संगठन या तो नॉन प्राफिट या पब्लिक बेनिफिट कॉरपोरेशन हैं। अपवाद हवाई द्वीप में आधिकारिक तौर पर रजिस्टर्ड कैलासा ऑन हवाई आइलैंड है। हवाई द्वीप के पश्चिमी तट पर एक शहर में हवाई द्वीप पर कैलासा के रूप में पंजीकृत है। यह एक अमेरिकी घरेलू प्रॉफिट कॉरपोरेशन है। अन्य कैलासा सैन जोस, मिशिगन, मिनेसोटा, पेंसिल्वेनिया, पिट्सबर्ग, टेनेसी, डलास, ह्यूस्टन और सिएटल में स्थित हैं। कैलासा प्रतिनिधियों ने कैलिफोर्निया में अमेरिकी अधिकारियों को सूचित किया है कि निगम का उद्देश्य सनातन धर्म (हिंदुत्व) के प्रैटीशनर्स (हिंदुओं) वाले समुदाय के वैश्विक प्रतिनिधित्व के लिए एक दूतावास बनाना है। जो कुछ उनकी तरफ से जमा कराया गया है वो वैसा ही जैसे कि किसी सरकार की तरह घोषणाएं होती हैं।
इनमें एक उद्देश्य के तौर पर कहा गया है- उन मुद्दों पर मेजबान देश की राजनीतिक और आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करना और संबंधित कैलासा मंत्रालय को वापस रिपोर्ट करना, जिनसे कैलासा पर असर पड़ता है। धार्मिक निगम ने नित्यानंद ध्यानपीठम और नित्यानंद मिशन उर्फ यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा के साथ अपनी संबद्धता और निष्ठा का संकल्प लेना बताया है। अन्य देशों में गतिविधियां: दस्तावेज से पता चलता है कि पिछले साल अटूबर में, कैलासा ने हांगकांग के ग्लोबल फाइनेंशियल हब में एक निजी कंपनी ‘कैलासा लिमिटेड’ को रजिस्टर्ड किया था। कंपनी हांगकांग में स्टेनली स्ट्रीट के साथ वल्र्ड ट्रस्ट टॉवर के एक पते पर रजिस्टर्ड है। इस साल अप्रैल में, इसने उसी दिन ब्रिटेन में दो धार्मिक संगठनों को इनकॉर्पोरेट किया। ब्रिटेन उन देशों में से एक है जहां संगठनों को कॉपलिमेंट्री करेंसी के इस्तेमाल की अनुमति दे रखी है। या कैलासा मुद्रा हो सकती है? जवाब हां और नहीं, दोनों में हैं। कई देशों में, समुदाय अपने स्वयं के पैसे प्रिंट कर सकते हैं। कॉपलिमेंट्री करेंसी और प्राइवेट करेंसी का विचार नया नहीं है। कई देश सामाजिक, धार्मिक और पर्यावरण समूहों के लिए कॉपलिमेंट्री करेंसी के उपयोग की अनुमति देते हैं। उदाहरण के लिए, ब्रिटेन में समुदायों ने ब्रिस्टल पाउंड और लुईस पाउंड जैसी सामुदायिक मुद्रा का इस्तेमाल किया है, जिसे समुदाय के भीतर स्वीकार किया जाता है।
और हां, यहां तक कि एक वेबसाइट भी है जो ऐसी मुद्राओं को डिजाइन और प्रिंट करने में मदद करती है। कई देश ब्लॉकचेन-आधारित क्रिप्टोकरेंसी जैसे बिटकॉइन का इस्तेमाल करने की अनुमति भी देते हैं। नित्यानंद की ओर से अपने कैलासा समुदाय के सदस्यों, प्राइवेट कंपनियों, और देश के स्थानीय कानूनों का इस्तेमाल उसकी अपनी करेंसी को उसके समुदाय के सदस्यों के बीच चलाने के लिए किया जा सकता है। हर संभावना में, आवश्यक रूप से ये लीगल टेंडर नहीं होगी, लेकिन ये नित्यानंद को अपना वर्चुअल बैंक चलाने में मदद करेगा। अतीत में एक नया ‘संप्रभु राष्ट्र’ बनाने के कई दावों के बावजूद, नित्यानंद अपने अनुयायियों को कैलासा का भौतिक स्थान नहीं दे सका। उसकी ओर से इवाडोर में एक द्वीप खरीदने की पहले की रिपोर्टों को इवाडोर सरकार ने जोर देकर खारिज कर दिया था। लेकिन उन्होंने ये पुष्टि की थी कि भगोड़े धार्मिक नेता की रेजीडेंसी की एप्लीकेशन को नामंजूर किया गया था। अब तक, वह अपने अनुयायियों को विभिन्न देशों में वर्चुअली संबोधित करता है। साथ ही ‘ई-पासपोर्ट’ की पहुंच देता है जिससे कि उसके साहित्य, इवेंट्स तक पहुंच मिल सके। पहले उसका वादा भौतिक पासपोर्ट देने का था।
अंकित कुमार
(लेखक पत्रकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)