जरूरत है युवा तरुणाई के उद्धघोष की

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हिन्दी फिल्म रंग दे बसंती का एक डायलॉग है, “कोई भी देश परफेक्ट नहीं होता, उसे परफेक्ट बनाना पड़ता है।” देश का नेतृत्व करने वालों का यह दायित्व होता है कि वो देश और समाज के उत्थान के लिए कार्य करें और ऐसे कार्यक्रम और योजनाएं चलाएं जिससे देश प्रगति कर सके। प्रधानमंत्री मोदी के रूप में देश का नेतृत्व आज एक ऐसे व्यक्ति के हाथों में है जो न केवल दूरदर्शी है, बल्कि जिसके पास कठोर और ऐतिहासिक निर्णय का साहस और संकल्प भी है और जो देश को सर्वप्रथम और सर्वोपरि मानता है। मोदी जी की सरकार में निश्चित समय पर निर्णय लेने की निष्ठा की वजह से ही भारतीय मीडिया में ‘पॉलिसी पैरालिसिस” जैसा शब्द आज गायब सा हो गया है, जो पूर्ववर्ती काँग्रेस पार्टी की यूपीए सरकार का सबसे बड़ा ‘हालमार्क’ माना जाता था। प्रधानमंत्री मोदी ने देश से सीधे जुड़ने, जनता से सीधे संवाद करने की जो संस्कृति स्थापित की है उसकी वजह से जनता में भी सरकार के प्रति विश्वास जागा है। जनता मोदी जी के हर आह्वान को हाथों हाथ लेती है, फिर चाहे वो ‘सेल्फ़ी विद डॉटर’ जैसा जनहित में चलाया गया अभियान हो या कोरोना वारीयर्स के सम्मान में दीपक जालना, थाली पीटना हो।

इस तरह से जनता का जुड़ाव पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की याद दिलाता है। ज्ञात रहे कि जब देश में अनाज की भारी कमी थी और देश युद्ध की मार भी झेल रहा था तो शास्त्री जी के एक आहवाहन पर जनता ने एक दिन का उपवास करना चालू कर दिया था। जनता को लगता था कि देश का प्रधानमंत्री हमारे बीच का ही कोई है इसीलिए वो उनकी हर बात को आदेश मान कर दिल से लगाती थी। मोदीजी के साथ भी ऐसा ही है। लेकिन मोदी जी ने पिछले छह सालों में यदि किसी वर्ग पर सबसे अधिक ध्यान दिया है तो वो है देश का युवा वर्ग, युवा तरुणाई। मोदी राज में प्रतिभा को मिलता पटल यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत युवाओं का देश है क्योंकी इस देश की लगभग 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। ऐसे में यदि इस युवा शक्ति का सही प्रयोग किया गया तो न सिर्फ हम एक आर्थिक महाशक्ति बन कर उभरेंगे, बल्कि भारत फिर से विश्व-गुरु की अपनी पदवी प्राप्त करने में सफल हो जाएगा। हम दुनिया में सम्मिलित और समावेशी लोकतंत्र होने की मिसाल कायम कर सकेंगे जो हमारे पड़ोस में कहीं भी देखने को नहीं मिलती है। भारत में न तो प्रतिभावान युवाओं की कोई कमी है और न ही मेहनती युवाओं की।

भारतीय युवाओं को जहां भी अवसर मिला, उन्होंने अपनी क्षमता का पूरा प्रदर्शन किया है। सत्या नडेला, सूदर पिचाई, अजय बग्गा, इंदिरा नूई जैसे भारतीयों ने विश्व पटल पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। ऐसे में भारतीय युवाओं को यदि किसी चीज़ की सबसे अधिक आवश्यकता है तो वो है प्रोत्साहन और प्लेटफॉर्म की। सौभाग्य से तत्कालीन समय में यह दोनों ही चीजें आज उन्हे सरकार के उच्चतम स्तर पर मिल रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी लगातार अपने भाषणों और संवादों में युवाओं से यह आह्वान करते आ रहे हैं कि वे देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में फ़ेसबुक, गूगल, ट्विटर, ऐमज़न जैसी कम्पनियाँ और स्टार्ट-अप भारत में ही विकसित करें। उन्होंने तो यहाँ तक कहा है कि यदि ऐसा कोई सोशल मीडिया का एप भारत में किसी भारतीय द्वारा बनाया जाता है तो वो स्वयं उस एप में अपना अकाउंट खोलेंगे ताकि इस प्रयोग को बढ़ावा मिल सके। मोदी सरकार की कई योजनाओं का मकसद भी यही है फिर चाहे वो ‘स्टार्ट अप’ इंडिया हो, ‘स्किल इंडिया’ हो या ‘स्टैन्ड अप इंडिया’। इन योजनाओं का लाभ उठा कर आज देश के युवा कई उद्योग और स्टार्ट अप खोल रहे हैं जिससे करोड़ों युवाओं को रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं।

देश के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी भी समय-समय पर युवाओं से अपील करते रहे हैं कि वो देश को सुरक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए आगे आएं ताकि भारत हथियारों के आयात करने वाले देश से हथियारों के निर्यात करने वाला देश बन सके। भारतीय उद्यमियों को समान अवसर प्रदान करने और भारतीयों के डाटा को सुरक्षित रखने के लिए भारत सरकार ने 59 चीनी एप्स को भारत में प्रतिबंधित करने का जो साहसिक निर्णय लिया है, वह प्रशंसनीय है। भारतीय युवाओं को चाहिए की वो इनके विकल्प के रूप में नए एप बनाएं। और ऐसे कर के भारत ने चीन को यह भी साफ कर दिया है कि कोई भी देश भारत की सुरक्षा को कमजोर करने की कोशिश नहीं कर सकता है। प्रधानमंत्री मोदी का बीते दिनों लेह में जा कर सैनिकों से मिलना चीन समेत पूरे विश्व के लिए एक संदेश था कि देश की सीमाओं की रक्षा करने वालों के साथ मज़बूती से सरकार खड़ी हुई है और भारत किसी भी विस्तारवादी देश से डरने वाला नहीं है, बल्कि ऐसी घटनाओं का मुंह तोड़ जवाब देने में सक्षम है। एक ऐसे समय में जब कोरोना रूप वैश्विक महामारी ने आर्थिक रूप से हमारे लिए कई मुसीबतें खड़ी कर दी है और हमारा पड़ोसी चीन दिनों-दिन आक्रामक होता जा रहा है, भारतीय युवाओं को भी आपदा को अवसर में बदलने के लिए प्रयासरत होना पड़ेगा।

रवि रंजन
( लेखक स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं )

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