सार गीता का सार By admin - June 1, 2020 0 763 Share Facebook Twitter Google+ Pinterest WhatsApp मनुष्य के शरीर को महज एक कपड़े का टुकड़ा बताया है। अर्थात मानव शरीर, आत्मा का अस्थायी वस्त्र है, जिसे हर जन्म में बदला जाता है। इसका आशय यह है कि हमें शरीर से नहीं उसकी आत्मा से व्यक्ति की पहचान करनी चाहिए।