सरकार सख्त कदम क्यों नहीं उठा रही ?

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भारत इस वत मुश्किल दौर से गुजर रहा है। कोरोना वायरस का बढ़ता संक्रमण इंसानी अस्तित्व पर सवाल खड़ा कर दिया है। भारत इस लड़ाई को बेहद मुस्तैदी से लड़ रहा है। सरकार की तरफ से उठाए गए कदम की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सराहना की है। प्रधानमंत्री मोदी अब तक तीन बार देश की जनता के नाम संदेश प्रसारित कर चुके हैं। पीएम देश के डाक्टरों, वैज्ञानिकों, खिलाडिय़ों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कोरोना से लडऩे की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं और आवश्यक सलाह भी दे रहे हैं। लेकिन चुनौती तो तब बन गई है जब लॉकडाउन के बाद भी वायरस का संक्रमण नहीं थम रहा है। 15 लाख लोग वायरस के शिकार हो चुके हैं। इसके बाद भी कुछ लोगों की वजह से देश में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ी है। तब्लीगी जमात की हरकतों से पूरा देश शर्मसार है। सरकार के सामाने ऐसे राष्ट्र विरोधी तालिबानी सोच के लोग चुनौती बने हैं। सरकार एक नहीं कई मार्चों पर युद्ध लड़ रही है। यह वत राजनीति का नहीं है। हमें धर्म, संप्रदाय, भाषा, नस्ल से आगे निकल कर देश के लिए सोचना होगा। जब जीवन बचेगा तो सख्यताएं और संस्कृतियां बचेंगी। यह देश सभी धर्मों और संप्रदायों का है, फिर इसे हिंदू और मुसलमान के चश्में से देखना कितनी बड़ी साजिश है। तब्लीगी जमात की करतूतों से पूरा देश शर्मसार है।

भारत के लिए कोरोना वायरस से लडऩा आसान नहीं है। लेकिन सरकार इसे चुनौती मान कर हर प्रयास कर रही है। राज्य सरकारें भी बहुमूल्य जीवन बचाने के लिए पूरी तरह प्रयास रत हैं। मेडिकल स्टाफ, पुलिस, साहित्यकार, संगीतकार, अभिनेता, राजनेता और मीडिया सभी एक साथ हैं। यह आलोचना का समय नहीं हैं एक जुटता का है। दिन रात स्वयंसेवियों की फौज भूखे लोगों को भोज उपलब्ध करा रही है। जीवन बचाने के लिए संघर्ष चल रहा है। कोरोना से प्रभावित चीन में भारतीय लोग सोशल मीडिया पर चीन सरकार के अनुभवों को साझा कर रहे हैं। लोगों को इस वायरस से बचने की सलाह दे रहे हैं। भारत की जनता से अपील भी कर रहे हैं कि आप सरकार के साथ खड़े हों और उसके दिशा निर्देशों का पालन करें। लॉकडाउन की वजह से पूरा देश ठहरा है। फैट्रियों में उत्पादन बंद हैं। कामगार पलायान कर रहे हैं। लोग घरों में कैद हैं। देश को बड़ी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है। हजारों अरब डालर का प्रतिदिन का नुकसान हो रहा है। शेयर बाजार हर रोज डूब रहा है। विश्व बैंक ने कोरोना की लड़ाई जीतने के लिए भारत सरकार को बड़ी राहत देने की घोषणा की है। हजारों की संख्या में दानवीर प्रधानमंत्री केयर फंड में दान कर रहे हैं। लेकिन हमारे बीच के लोग ही सरकार के साथ हिंदू-मुस्लिम का घिनौना खेल खेल रहे हैं।

नमाज अदा करने के बहाने इस्लाम को बदनाम किया जा रहा है। इस लड़ाई को देखे हुए सभी हिंदू मुस्लिम, सिख और ईसाइयों से संबंधित धर्म स्थलों पर ताला लटका है। उस स्थिति में दिल्ली के निजामुद्दीन के मरकज में तब्लीगी जमात की हरकत शर्मसार करने वाली है।भारत में कुछ लोग इस्लाम को बदनाम करने की साजिश रच रहे हैं। उसमें तब्लीगी और दूसरे मौलवी शामिल हैं। तब्लीगी जमात इस्लाम की आड़ में भारत के खिलाफ बड़ी साजिश रचने में कामयाब हुआ है। जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है, उस स्थिति में सबकुछ जानते हुए भी दिल्ली में हजारों लोग मरकज में कैसे जमा हुए। इसके लिए कौन गुनाहगार है। सरकारें भी अपनी जिम्मेदारी और जबाबदेही से नहीं बच सकती है। सरकार का खुफिया विभाग भी फेल रहा है। ऐसी स्थिति में इतनी भारी तादात में विदेशी कैसे पहुंच गए।

उससे भी बड़ी बात यह है कि लॉकडाउन के बाद भी 960 विदेशी पूरे भारत भर में टूरिस्ट वीजा की आड़ में फैल गए। 22 राज्यों के लोग इस जमात में शामिल हुए थे। आज हालात यह है कि तब्लीगी जमात ने भारत को कोरोना हब बनाने की साजिश रची है। इतनी भारी संख्या में विदेशी भारत के बड़े और छोड़े शहरों में फैल गए लेकिन हमारी सरकारों और खुफिया को भनक तक नहीं लगी। इसके अलावा धर्म की आड़ में हजारों की भीड़ मस्जिदों में इकट्ठा कर कोरोना का वायरस खैरात में बांटा। निश्चित रूप से कहीं न कहीं से यह हमारी व्यवस्थागत नाकामी रही है। इस वत देश के साथ खड़े होने का है। हमें टिप्पणी या आलोचना के बजाय सरकार का साथ दें और कोरोना की जंग में एक सच्चे राष्ट्रवादी की तरह अपने दायित्व निभाएं। जब इंसानियत और मानवा सुरक्षित रहेगी तो देश बेचगा और जब देश बचेगा तो हम, हमारी संस्कृति विरासत, धर्म और दूसरी संस्कृति और सख्यताएं जिंदा रहेंगी।

प्रभुनाथ शुक्ल
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं ये उनके निजी विचार हैं)

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