एक अदभुत विवाह-समारोह

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आज मैं उज्जैन के ऐसे कार्यक्रम में शामिल हुआ, जिस पर सब गर्व कर सकते है और उससे सीख ले सकते है। यह था, सामूहिक विवाह-समारोह। 122 जोड़ों की आज शादी हुई। आजकल देश में सामूहिक विवाह के कई आयोजन होते हैं। लेकिन यह उनसे मुझे काफी अलग नजर आया।

अक्सर ये सामूहिक विवाह कुछ जातीय संगठनों द्वारा आयोजित किए जाते हैं, जिनमें एक ही जाति के युवक-युवतियों की शादियां होती हैं लेकिन आज के इस आयोजन में न जाति का, न मजहब का, न प्रांत का, न भाषा का, कोई भी बंधन नहीं था। लड़का ब्राह्मण तो लड़की दलित, लड़की राजपूत तो लड़का बनिया, लड़की बनिया तो लड़का बौद्ध (दलित)।

ज्यादातर ऐसे जोड़े जिनकी जाति का कोई अता-पता ही नहीं। दूसरी बात यह है कि कोई लड़का गुजराती तो लड़की मराठी, कोई लड़की मालवी तो लड़का मारवाड़ी, कोई लड़की बंगालिन तो लड़का बिहारी। तीसरी बात, जिसने मेरा ध्यान खींचा, वह यह है कि 122 जोड़ों की शादी में लगभग दर्जन भर जोड़े मुसलमान थे और एक जोड़ा ईसाई था। इनकी शादियां करवाने के लिए मौलवी और पादरी भी पंडितों की तरह एक ही शामियाने के नीचे डटे हुए थे।

विवाह, निकाह और वेडिंग के बाद सभी लोग एक जगह बैठकर भोजन कर रहे थे। हजारों लोग उपस्थित थे। मंच पर हमारे साथ सभी धर्मों के पुरोहित बैठे हुए थे। उज्जैन के कमिश्नर, कलेक्टर, पुलिस मुखिया वगैरह भी थे। इसे कार्यक्रम के सबसे महत्वपूर्ण अंश के बारे में मैं अब लिख रहा हूं। वह यह था कि इन 122 जोड़ों में 29 जोड़े सेवाधाम उज्जैन के थे। यह सेवाधाम उज्जैन के पास के अंबोदिया ग्राम में है।

इसकी स्थापना सुधीर गोयल ने की थी। सुधीर मेरे छोटे भाई की तरह है। सुधीर को मैं ‘फादर टेरेसा’ कहता हूं, क्योंकि वे किसी के भी धर्म-परिवर्तन की कोशिश किए बिना उनकी सेवा करते हैं। इस दृष्टि से यह ‘मदर टेरेसा’ से भी अधिक ऊंचा और पवित्र काम कर रहे हैं। मैं इस सेवाधाम का नाम-मात्र का संरक्षक हूं। जब लगभग 20 साल पहले इसका मैं संरक्षक बना, तब इसमें 50-50 विकलांग लोग किसी तरह गुजर करते थे।

अब इसमें 600 विकलांग, अपंग, अनाथ, बलात्कृत महिलाएं, गूंगे, बहरे, अंधे, लूले, लंगड़े लोग रहते हैं। इसी तरह के 29 युवक और युवतियों का ब्याह आज संपन्न हुआ है। इसमें ऐसी पांच युवतियां भी वधू थीं, जिनकी गोद में अवैध बच्चे भी थे। एक पूर्व-वेश्या भी थी। ये सब शादियां उनकी पूरी जानकारियों में हुई हैं।

डा. वेदप्रताप वैदिक
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके निजी विचार हैं)

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