भगवान गौतम बुद्ध के उपदेश

0
290

यह मन ही है जो हमें जीवनरूपी कारागार का कैदी बनाता है और यह मन ही है, जो हमें कैदी बनाए रखता है। लेकिन मन ने जो कुछ बनाया है उसे मन ही नष्ट कर सकता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here