आमलकी एकादशी व्रत 5 मार्च को

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पुत्रदा एकादशी
पुत्रदा एकादशी

सनातन धर्म में व्रत त्यौहार की परम्परा काफी पुरानी है। फाल्गुन शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि के दिन आमलकी/ रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि आमलकी एकादशी के व्रत से द्वादश मास के समस्त एकादशी के व्रत का पुण्यफल मिलता है, साथ ही जीवन के समस्त पापों का शमन भी होता है। एकादशी तिथि के दिन स्नान-दान व्रत से सहस्र गोदान के समान शुभफल की प्राप्ति बतलाई गई है। इस दिन स्नान-दान व व्रत से भगवान् श्रीहरि यानि श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्त्व है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि फाल्गुन शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि 5 मार्च, गुरुवार को दिन में 01 बजकर 19 मिनट पर लगेगी जो कि 6 मार्च, शुक्रवार को दिन में 11 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। 5 मार्च, गुरुवार को एकादशी तिथि पड़ने से आमलकी/रंगभरी एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। आज के दिन काशी में श्रीकाशी विश्वनाथ जी का प्रतिष्ठा महोत्सव व शृंगार दिवस भी मनाया जाता है।

ऐसे करें भगवान् श्रीहरि की पूजा-
श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रतकर्ता को अपने दैनिक नित्य कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान ध्यान के पश्चात् आमलकी/रंगभरी एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के साथ व्रत करके समस्त नियमसंयम आदि का पालन करना चाहिए। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि आंवले के वृक्ष के नीचे श्रीहरि यानि श्रीविष्णु का वास माना गया है। धार्मिक परम्परा के अनुसार आंवले के वृक्ष का पूजन पूर्वाभिमुख होकर करना चाहिए। साथ ही आँवले के वृक्ष के पूजन में पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करने चाहिये। पूजन के पश्चात् वृक्ष की आरती करके परिक्रमा करना पुण्य फलदायी माना गया है। आंवले के फल का दान करना भी सौभाग्य में वृद्धि करता है। भगवान श्रीविष्णु की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए इनके मन्त्र’ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप अधिक से अधिक संख्या में करना चाहिए। आज रात्रि जागरण करना लाभकारी रहता है। सम्पूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत सम्पादित करना चाहिए, अन्न ग्रहण करने का निषेध है। विशेष परिस्थितियों में दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है। व्रत कर्ता को जीवन में शुचिता बरतनी चाहिए। साथ ही व्रत के समय दिन में शयन नहीं करना चाहिए। अपनी सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को उपयोगी वस्तुओं का दान करना चाहिए, साथ ही गरीबों व असहायों की सेवा एवं परोपकार के कार्य अवश्य करना चाहिए। जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली बनी रहे।

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