यूपी में विकास को रफ्तार

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यूपी में आधारभूत योजनाओं की रफ्तार बढ़ गई है। इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चित्रकूट में बुंदेलखंड एसप्रेस वे की नींव रखी तो प्रयागराज दिव्यांगों को 19 करोड़ के उपकरण बांटे। योगी सरकार अपनी योजनाओं को केन्द्र से जोड़ते हुए राज्य में विश्वास के नए आयाम दे रही हे। बुंदेलखंड क्षेत्र इसी महती योजना का एक हिस्सा है। दो साल बाद यानि 2022 में मोदी सरकार को नये जनादेश के लिए जाना भी है। सबसे बड़ी चुनौती विकास योजनाओं को जमीन पर उतरता दिखाने की है। पिछड़े क्षेत्रों में सरकार का विशेष फोकस है। पिछड़ेपन के मामले में बुंदेलखंड शीर्ष पर अब भी है। पर अब संरचनात्मक विकास की योगी सरकार एक लम्बी लाइन खींचना चाहती है ताकि पूंजी निवेश के लिए अनुकूलता स्थापित हो सके। जाहिर है कि एसप्रेस वे की शुरुआत से संबद्ध इलाकों के भी दिन बहुरेंगे। उनके कारोबार में गति आएगी। फौरी तौर पर अवस्थापनाओं की विकास यात्रा में जो रोजगार पैदा होते हैंए सो अलग। विकास की दृष्टि से इस सरकार का सकारात्मक पहलू यह है कि इसने यूपी को क्षेत्रवार अपनी प्राथमिकताओं में शामिल किया है। इसमें दशकों से उपेक्षित रहे पूर्वांचल और बुंदेलखंड क्षेत्र को प्राथमिकता दी गयी हैए यह आवश्यक भी था।

इसीलिए इन्वेस्टर्स समिट में जब डिफेंस कारिडोर खोलने की बात हुई तब बुंदेलखंड को प्राथमिकता दी गई। इस क्षेत्र में हालांकि पिछली सरकारों में भी केन्द्र की तरफ से स्पेशल पैकेज दिये जाते रहे, लेकिन उसका सदुपयोग नहीं हो सका। इसीलिए पानी की कमी से लेकर किसानों की मंडी तक ना पहुंच पाने की विवशता को मोदी-योगी दोनों सरकारों ने गहराई से समझा और इसी दृष्टि से विकास की रूपरेखा तैयार की गयी। केन्द्र की मदद और खुद राज्य सरकार के अपने संसाधन का मिलाजुला प्रभाव जमीन पर भी दिखेए इसके लिए मुख्यमंत्री ने निगरानी तंत्र तैयार किया है, जो स्थलीय रिपोर्ट तैयार करता है। योगी सरकार 2017 में विकास और कानून व्यवस्था की बेहतरी के वादे के दम पर बनी थी, जनता ने यकीन किया था। इसलिए भी खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च से जिलों में विकास कार्यों के निरीक्षण का निर्णय लिया है। निश्चित तौर पर उनके सघन दौरे से फार्म पड़ेगा। देखा भी गया है कि मुख्यमंत्री की अपने स्तर से निगरानी बड़े परिणाम देने वाली रही है। राज्य को प्रधानमंत्री आवास योजना में इसीलिए देश को अव्वल रैंक हासिल हुई है। शौचालय निर्माण में भी जहां फर्जीवाड़ा हुआ हैए उसके दोषियों पर नकेल लगाने का काम हुआ है। नवम्बर में फिर इन्वेस्टर्स समिट होने वाला है।

सरकार लगातार अपने स्तर से राज्य में निवेशकों को आकर्षित करने के काम में जुटी हुई हैं अब तक के समिट से 4-5 लाख नए रोजगार सृजन का रास्ता तैयार हुआ है। इसीलिए भी कि भाजपा सरकार की युवा सबसे बड़ी ताकत रहे हैं। उन्हें काम देना ही एकमात्र विकल्प हो सकता है। पिछले दिनों पेश बजट में इसीलिए अप्रेन्टिसशिप के लिए 2500 रुपये प्रतिमाह की व्यवस्था और प्रशिक्षण बाद प्लेसमेंट कराने की जिम्मेदारी लेने की पहल स्पष्ट संकेत है कि मोदी सरकार रोजगार की मौजूदा चुनौती को बखूबी समझती है। यही वजह है कि चौतरफा विकास का संजाल तैयार किया जा रहा है। कानून-व्यवस्था के मामले में फिलहाल इतना तो कहा जा सकता है कि राज्य में संगठित अपराधों पर ब्रेक लगा है। रूटीन के अपराध जरूर चुनौती बने हुए हैं। इस दिशा में राज्य में कुछ स्थानों पर कमिश्नर ने पुलिस व्यवस्था की पहल की है। लखनऊ और नोयडा को प्रयोग के तौर पर चुना गया है। सब कुछ ठीक रहा तो इसे और जनपदों में लागू किया जा सकता है। बहरहाल, एशन मोड में आ चुकी योगी सरकार को एक साथ कई मोर्चों पर खुद को साबित करना है।

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