महाशिवरात्रि पर ऐसे करें शिव आराधना

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भगवान शिवजी की महिमा में फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व हर्ष व उल्लास के साथ मनाया जाता है। शिवपुराण के अनुसार प्रजापति दक्ष की कन्या सती का विवाह भगवान शिवजी से इसी दिन हुआ था। जिसके फलस्वरूप महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि चतुर्दशी तिथि के निशा बेला में भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में अवतरित हुए थे। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 21 फरवरी, शुक्रवार को सायं 5 बजकर 22 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 22 फरवरी, शनिवार की रात्रि 7 बजकर 03 मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्दशी तिथि (महानिशीथकाल) में मध्यरात्रि में भगवान शिवजी की पूजा विशेष फलदायी रहती है।

ऐसे करें शिव आराधना
ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रत कर्ता को चतुर्दशी तिथि के दिन व्रत उपवास रखकर भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। त्रयोदशी तिथि के दिन एक बार सात्विक भोजन करना चाहिए। व्रत 21 फरवरी, शुक्रवार को रखा जाएगा जबकि व्रत का पारण 22 फरवरी, शनिवार को तिल, बेलपत्र व खीर से हवन करने के पश्चात् किया जाएगा। भगवान शिवजी का दूध व जल से अभिषेक करके उन्हें वस्त्र, चन्दन, यज्ञोपवीत, आभूषण, सुगन्धित द्रव्य के साथ बेलपत्र, कनेर, धतूरा, मदार, ऋतुपुष्प, नैवेद्य आदि अर्पित करके धूप-दीप के साथ पूर्वाभिमुख या उत्तराभिमुख होकर ही पूजा करनी चाहिए। शिवभक्त अपने मस्तिष्क पर भस्म और तिलक लगाकर शिवजी की पूजा करें तो पूजा विशेष फलदायी होती है।

भगवान् शिवजी की महिमा में शिव-स्तुति, शिव-सहस्रनाम, शिव महिम्नस्तोत्र, शिवताण्डव स्तोत्र, शिव चालीसा, रुद्राष्टक, शिवपुराण आदि का पाठ करना चाहिए तथा शिवजी के प्रिय पंचाक्षर मन्त्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का मानसिक जप करना चाहिए। शिवपुराण के अनुसार ‘ॐ नमः शिवाय शुभं शुभं कुरु कुरु शिवाय नमः ॐ’ इस मन्त्र के जप से सर्वविध कल्याण होता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर शिवजी की पूजा-अर्चना करके रात्रि जागरण करने पर ही व्रत पूर्ण फलदायी माना गया है। व्रत के दिन अपनी दिनचर्या नियमित संयमित रखते हुए भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करके विशेष पुण्यलाभ उठाना चाहिए।

महाशिवरात्रि पर जन्मराशि या नामराशि के अनुसार कैसे करें पूजा

मेष- भगवान शिव की पूजा गुलाल से करें। ‘ॐ ममलेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा लाल वस्त्र, लाल चंदन, गेहूं, गुड़, तांबा, लाल फूल आदि का दान करें।
वृषभ-शिवजी का अभिषेक दूध से करें। ‘ॐ नागेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा सफेद फूल, सफेद चंदन, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
मिथुन-शिवजी का अभिषेक गन्ने के रस से करें। ॐ भूतेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा मूंग, कस्तूरी, कांसा, हरा वस्त्र, पन्ना, सोना, मूंगा, घी का दान करें।
कर्क-शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें। महादेव जी के द्वादश नाम का स्मरण करें तथा सफेद फूल, सफेद वस्त्र, चावल, चीनी, चांदी, मोती, दही का दान करें।
सिंह-शिवजी का अभिषेक शहद से करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का जप करें तथा लाल फूल, लाल वस्त्र, माणिक्य, केशर, तांबा, घी, गेहूँ, गुड़ आदि का दान करें।
कन्या-शिवजी का अभिषेक गंगाजल या शुद्धजल से करें। श्रीशिव चालीसा का पाठ करें तथा हरा फूल, कस्तूरी, कांसा, मूंग, हरा वस्त्र, घी, हरा फल का दान करें।
तुला-शिवजी का अभिषेक दही से करें। श्रीशिवाष्टक का पाठ करें तथा सुगंध, सफेद चंदन, सफेद फूल, चावल, चांदी, घी, सफेद वस्त्र आदि का दान करें।
वृश्चिक-शिवजी का अभिषेक दूध व घी से करें। ‘ॐ अंगारेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा गेहूँ, गुड़, तांबा, मूंगा, लाल वस्त्र, लाल चंदन, मसूर का दान करें।
धनु-शिवजी का अभिषेक दूध से करें। ‘ॐ रामेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा पीला वस्त्र, चने की दाल, हल्दी, पीला फल, फूल, सोना, देशी घी का दान करें।
मकर-शिवजी का अभिषेक अनार के रस से करें। श्रीशिवसहस्रनाम का पाठ करें तथा उड़द, काला तिल, तेल, काले वस्त्र, लोहा, कस्तूरी, कुलथी आदि का दान करें।
कुम्भ-शिवजी का अभिषेक पंचामृत से करें। ‘ॐ नमः शिवाय’ मन्त्र का जप करें तथा काले वस्त्र, काला तिल, उड़द, तिल का तेल, छाता आदि का दान करें।
मीन-शिवजी का अभिषेक ऋतुफल से करें। ‘ॐ भौमेश्वराय नमः’ मन्त्र का जप करें तथा चने की दाल, पीला वस्त्र, हल्दी, फूल, पीला फल, सोना आदि का दान करें।

काशी में भी विराजते हैं द्वादश ज्योतिर्लिंग काशी में द्वादश ज्योतिर्लिंग इस प्रकार हैं-1-सोमनाथ (मानमन्दिर), 2-मल्लिकार्जुन (सिगरा), 3-महाकालेश्वर (दारानगर), 4केदारनाथ (केदारघाट), 5-भीमशंकर (नेपाली खपड़ा), 6-विश्वेश्वर (विश्वनाथ गली), 7-त्र्यम्बकेश्वर (हौजकटोरा, बाँसफाटक), 8-वैद्यनाथ (बैजनत्था), 9-नागेश्वर (पठानी टोला), 10-रामेश्वरम् (रामकुण्ड), 11-घुश्मेश्वर (कमच्छा), 12-ओंकारेश्वर (छित्तनपुरा) में स्थित है।

(लेखक ज्योतिर्विद् श्री विमल जैन मो. : 09335414722)

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