400 सालों से एक ही परिवार पर है इस मंदिर में पूजा की जिम्मेदारी

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मार्गशीष माह की पूर्णिमा पर अन्नपूर्णा जयंती का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व इस वर्ष 12 दिसम्बर को था। कार्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले में अन्न की देवी का अन्नपूर्णेश्वरी मंदिर है, जहां इस पर्व की धूम रही। चिकमंगलूर जिले में भद्रा नदी के तट पर होरनाडु गांव में हरे-भरे प्राकृतिक वातावरण के मध्य अन्नपूर्णेश्वरी मंदिर स्थित है। यह मंदिर अन्न की देवी को समर्पित है। महागणपति, अंजनेय स्वामी और नवग्रह इस मंदिर में पूजे जाने वाले अन्य प्रमुख आराध्य हैं। ऐसा माना जाता है कि महर्षि अगस्त्य ने देवी आदिशक्ति श्री अन्नपूर्णेश्वरी की स्थापना की थी। इसके बाद 8 वीं शताब्दी में वास्तु और ज्योतिष शास्त्र के अनुरूप इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया।

दिन में तीन मिलता है भोजन

यहां देवी की प्रतिमा खड़ी हुई मुद्रा में शंख, चक्र और श्रीचक्र धारण किए हुए विराजमान है। इस मंदिर की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यहां भक्तों को भोजन (सुबह, दोपहर और रात) कराया जाता है। साथ ही मंदिर परिसर में भक्तों को सोने के लिए स्थान भी उपलब्ध कराया जाता है। यह मंदिर कर्नाटक के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। अन्नपूर्णोश्वरी मंदिर में 400 वर्ष पूर्व धर्मकर्थारू (पुजारी) की प्रथा चलन में आई, तब से यह जिम्मेदारी एक ही परिवार निभाता आ रहा है।

सुंदर नक्काशी

इस मंदिर को श्री क्षेत्र होरनाडू के नाम से भी जाना जाता है। लोगों का मानना है कि मंदिर में चमत्कारी शक्तियां है, यदि सच्चे मन से यहां प्रार्थना की जाए तो भक्त अपने पूरे जीवन में भूखा नहीं मरता। मंदिर के गोपुरम में हिन्दू देवताओं की कई मुर्तियों को सजाया गया है। मंडप मुख्य मंदिर प्रवेश द्वारा के बाईं ओर स्थित है। मंदिर की छतों पर आप सुंदर नक्काशी देख सकते हैं। दीवारों पर उकेरी गई बारीक नक्काशी और मूर्तियां देखने लायक हैं। अन्नपूर्णा जंयती के मौके पर यहां भक्तों का तांता लगा रहता है।

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