साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण रविवार, 21 जून को हो रहा है। ये ग्रहण भारत में दिखाई देगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार ग्रहण का स्पर्श सुबह लगभग 10.14 बजे पर, ग्रहण का मध्य 11.56 बजे पर और ग्रहण का मोक्ष लगभग 1.38 बजे पर होगा। भारत में अलग-अलग जगहों पर ग्रहण का समय अलग-अलग रहेगा।
ये ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में और मिथुन राशि में लगेगा। इस दिन राहु-केतु के अलावा गुरु, शनि, बुध और शुक्र वक्री रहेंगे। ये ग्रहण भारत के अलावा एशिया, अफ्रीका और यूरोप के कुछ क्षेत्रों में भी दिखेगा। सभी जगह ग्रहण का समय अलग-अलग रहेगा। ये ग्रहण भारत में दिखेगा, इसलिए इसका सूतक भी रहेगा। सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है। इस ग्रहण का सूतक 20 जून की रात 10.14 बजे से शुरू हो जाएगा और 21 जून की दोपहर 1.38 बजे तक रहेगा। 2020 का ये एक मात्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखेगा और इसका धार्मिक असर भी मान्य होगा। भारत में ये ग्रहण दिखेगा, इस कारण यहां ग्रहण से संबंधित सावधानी, सूतक रखना चाहिए। सूतक के समय पूजा-पाठ नहीं करनी चाहिए। ग्रहण के समय मानसिक रूप से मंत्रों का जाप कर सकते हैं। जैसे राम नाम, ऊँ नम शिवाय, सीताराम, श्री गणेशाय नम आदि मंत्रों का जाप कर सकते हैं। आप चाहे तो अपने इष्टदेव का ध्यान भी कर सकते हैं।
ग्रहण के समय गर्भवती स्त्री को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। क्योंकि ऐसे समय में सूर्य से हानिकारक तरंगे निकलती हैं जो कि मां और बच्चे की सेहत के लिए हानिकारक होती हैं। तेल मालिश नहीं करना चाहिए। खाने की चीजों में तुलसी के पो डाल देना चाहिए, जिससे कि पका हुआ खाना ग्रहण के कारण अशुद्ध होने से बच जाए। ग्रहण खत्म होने के बाद घर की सफाई करनी चाहिए। घर में स्थापित देवीदेवताओं की प्रतिमाओं को स्नान करना चाहिए। पूजा-पाठ करना चाहिए। पं. शर्मा के अनुसार ग्रहण के संबंध में समुद्र मंथन की कथा प्रचलित है।
प्राचीन काल में में देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से अमृत कलश निकला तो देवताओं और दानवों के बीच युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और देवताओं को अमृतपान करवाया। उस समय राहु नाम के असुर ने भी देवताओं के वेश में अमृत पान कर लिया था। चंद्र और सूर्य ने राहु को पहचान लिया और भगवान विष्णु को बता दिया। विष्णुजी ने क्रोधित होकर राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। राहु ने भी अमृत पी लिया था, इस कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई। इस घटना के बाद राहु चंद्र और सूर्य से शत्रुता रखता है और समय-समय पर इन ग्रहों को ग्रसता है। इसी घटना को सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण कहते हैं।
मंगल ने बदली चाल: गुरुवार, 18 जून को तीन ग्रहों की स्थितियां बदल गई हैं। चंद्र ने वृष राशि में और मंगल ने मीन राशि में प्रवेश किया है। बुध मिथुन राशि में वक्री हो गया है। इसी के साथ अब 9 में से 6 ग्रह वक्री हो गए हैं। रविवार, 21 जून को सूर्य ग्रहण ग्रहों की इसी स्थिति में होगा। उस समय चंद्र सूर्य और राहु के साथ मिथुन राशि में रहेगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार 6 वक्री ग्रहों की स्थिति 25 जून तक रहेगी। 25 को शुक्र ग्रह वृष राशि में मार्गी हो जाएगा। फिर 12 जुलाई तक 5 ग्रह वक्री रहेंगे। इसके बाद बुध मिथुन में मार्गी होगा। 25 जून तक बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु वक्री रहेंगे। इनके अतिरित सूर्य, चंद्र और मंगल मार्गी रहेंगे। राहु-केतु हमेशा वक्री रहते हैं और सूर्य-चंद्र हमेशा मार्गी रहते हैं। ग्रहों की ये दशा सभी 12 राशियों के लिए भी खास रहेगी।
ज्योतिष में ग्रहों की दो स्थितियां बताई गई हैं। एक मार्गी और दूसरी वक्री। सरल शब्दों में मार्गी में ग्रह सीधा चलता है यानी आगे बढ़ता है। जबकि वक्री स्थिति में ग्रह टेढ़ा या उल्टा चलता है यानी पीछे की ओर चलने लगता है। इस समय सभी 12 राशियों के विशेष सावधानी रखनी होगी। मानसिक तनाव बढ़ सकता है। धैर्य से काम लेना होगा। ये ग्रह योग मेष, कर्क, तुला, मकर, कुंभ राशि के लिए शुभ रहेगा। वृष, कन्या, वृश्चिक राशि के लिए अशुभ स्थिति बनेगी। मिथुन, सिंह, धनु और मीन राशि के लोगों के लिए समय सामान्य रहेगा। ज्योतिष में ग्रह मार्गी और वक्री होते रहते हैं, लेकिन 5 या 6 बड़े ग्रहों का एक साथ वक्री होना, दुर्लभ योग है। जुलाई के प्रारंभ तक इन ग्रहों का वक्री योग चलेगा। इस ग्रह स्थिति में सूर्य ग्रहण होने से देश-दुनिया में प्राकृतिक आपदा आने के योग बन रहे हैं।