भारत और चीन सीमा पर शांति रखकर अपनी-अपनी प्रगति को ना जारी रख सकते हैं। वैश्विक मंच पर दोनों ही गंभीर राष्ट्र हैं और वैश्विक विकास में दोनों की अहम भूमिका भी है। लेकिन भारतीय सीमा पर चीनी फौज की अतिक्रमणवादी कृत्य भारत को हमेशा चीन पर अविश्वास करने के लिए मजबूर करता रहा है। भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है और सभी पड़ोसियों के साथ मधुर व भरोसेमंद संबंध चाहता है, पर चीन व पाक शांति में रोडा बने हुए है। 1962 में भी चीन ने ही भारत का भरोसा तोड़ा था।
अभी लदाख में भी चीनी फौज ने भारतीय सैनिक के साथ विश्वासघात करते हुए हिंसक झड़प शुरू की थी। भारत ने अपने दुश्मनों को हमेशा करारा जवाब दिया है। हाल के वर्षों में चीन अरुणाचल प्रदेश, सिकिम, उाराखंड और लगन सीमा पर तनाव के साथ-साथ भूटान, नेपाल सीमा पर भी अतिक्रमण की कोशिश की है। भारतीय सेना ने चीन की हर कोशिश को नाकाम की है। भारत ने कई बार चीन को उसकी विस्तावारवादी नीति के खतरे को लेकर चेताया है।
लदाख में भारत के करारा सैन्य जवाब और चीन के ट्रेड पर अंकुश जैसे कदम के बाद से एलएसी (लाइन आफ कंट्रोल) पर शांति को लेकर 31 अगस्त को 12वें दौर की वार्ता हुई है। इससे पहले के 11 दौर के वार्ता की नतीजे इतने रहे कि चीन सीमा पर शांति के लिए मानसिक रूप से तैयार हुआ और सीमा पर पीछे हटा। सभी वाताओं में भारत ने चीन को यो टूक संदेश दिया है कि उसे भारतीय आपत्ति वाले क्षेत्रों से पीछे हटना ही होगा।
गत 14 जुलाई को ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांचे में एससीओ सम्मेलन से इतर करीब एक घंटे तक चीनी समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक कहा था कि एलएसी पर यथास्थिति में कोई भी एक पक्षीय बदलाव भारत को स्वीकार्य नहीं है और पूर्वी लददाख में पूरी तरह से शांति और स्थिरता बहाल होने के बाद ही संबंधों का विकास हो सकता है। अब भारत और चीन के सीनियर कमांजरों के बीच 12वें दौर की वार्ता में चीनी फौज पूर्वी लाख में तीन विवादित हिंट में में दो डांट सांग और गोगा पॉइंट से हटने को तैयार हो गई है।
वैसे अभी दोनों सरकारों में से किसी ने भी आधिकारिक रूप से इसकी घोषणा नहीं की है। भारत ने विवादित पाईट्स-हॉट स्प्रिंग, गोला और डेपसांग में चीन की मौजूदगी पर सख्त आपत्ति जताई है। पूर्वी लददाख एलएसी पर पिछले एक साल से तनाव है। इसे देखते हुए भारत व चीन में सीमा परशांति को लेकर सहमति की दिशा में आगे बढऩा सकारात्मक रुख है। फिलहाल चीन उपसागसे गीले हटने को तैयार नहीं है। यश भारतीय सेना की गश्त पैट्रोल पॉइंट 10ए 11, 11 अल्फा, पीपी 12 और पीपी 13 पर रोकी जा रही है। यह इलाका भारत की सबसे ऊची हवाई पट्टी दौलत बेग ओल्डी और काराकोरम रेंज से महज 30 किमी दूर है। यदि चीन अड़ा रहता है तो भारतीय सेना को कैलाश रेंज में जवानों की तैनाती पर विचार करना चाहिए। हमारे सैनिक इसका अभ्यास कर चुके हैं।
इन ठिकानों से चीन का वेस्टर्न हाईव बहुत दूर नहीं होगा। अभी 12 क्षेत्रों समालुंगपा, डेपसांग, पॉइंट 6556, बांगलंग नाला, कोगका ला, दमचौक, द्विग लाइट्स, पैगोंग त्सो उारी गोरए सांगर मैपए साजन चोटो 129 मीटरए दुमचेले और उमर में विवाद है। ये वह नए पटियोक सुलाए लेकिन नए रेजांगला, गलवान में किमी 120, पीपी.15 और पीपी.17 अल्फा भी जुड़े हैं। पलासी पर अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए भारतीय सेना 65 पैट्रोल मॉइंट्साक गश्त करती हैए जो सर्वोच्च नीति नियामक संस्था चाइना स्टेडी ग्रुप तय करता है। चीन को समझना होगा कि भारतीय सीमा पर जब तक वह विवाद जारी रखेगा, तब तक भारत के साथ शांतिपूर्ण संबंध कायम नहीं हो सकेंगे। इसलिए चीन को सभी विवादित क्षेत्र से पोछे लौट जाना चाहिए।