रोज सवेरे सूर्य की पूजा अर्थात सूर्य नमस्कार के साथ जल अर्पित करने को हमारे धर्म ग्रंथों में महत्वपूर्ण बताया गया है। प्राचीन काल से ही भारतीय ऋषि-मुनि सूर्योदय से पूर्व ब्रह्म बेला में या ठीक सूर्योदय के समय नदी में स्नान करते थे और स्नान के उपरान्त सूर्य को जल अर्पित करते थे। सनातन धर्म में पांच देवों की आराधना का महत्व है। सूर्य, गणेशजी, देवी दुर्गा, शिव और विष्णु। इन पांचों देवों की पूजा सब कार्य में की जाती है। इनमें सूर्य ही ऐसे देव हैं जिनका दर्शन प्रत्यक्ष होता रहा है।
सूर्य के बिना हमारा जीवन नहीं चल सकता। सूर्य की किरणों से शारीरिक व मानसिक रोगों से निवारण मिलता है। शास्त्रों में भी सूर्य की उपासना का महत्व बताया गया है। सूर्य सारे ब्रह्मांड की उर्जा का स्रोत है। सृष्टि के कण-कण को शक्ति सूर्य से ही मिलती है। प्रकृति हो या मनुष्य या चर-अचर जगत की कोई भी वस्तु, सभी सूर्य की किरणों के स्पर्श मात्र से नया जीवन पाते हैं। इसकी वजह क्या है? वजह है संपूर्ण सृष्टि के केंद्र वो पांच तत्व, जिनसे संपूर्ण प्रकृति, प्रत्येक प्राणी, चर-अचर जगत का निर्माण हुआ है।
शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की प्रत्येक रचना पांच मुख्य तत्वों पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि और वायु से मिलकर हुई है। ये पांचों प्रकृति के आधार तत्व हैं और इन सभी का केंद्र है सूर्य। ब्रह्मांड निर्माण के इन पांचों तत्वों को उर्जा सूर्य से मिलती है। सूर्य में सात रंग की किरणें हैं। इन सप्तरंगी किरणों का प्रतिबिंब जिस किसी भी रंग के पदार्थ पर पड़ता है, वहां से वे पुनः वापस लौट जाती हैं। लेकिन काला रंग ही ऐसा रंग ही ऐसा रंग है, जिसमें से सूर्य की किरणें वापस नहीं लौटती हैं।
सूर्य की किरणों में समाहित सात रंग मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण और असरकारी हैं। यदि कोई व्यक्ति सुबह स्नान करने के बाद एक कलश जल सूर्य को अर्पित करता है, तो उस जल की धार से छनकर आती सूर्य की किरणें पूरे शरीर पर पड़ता है और हमारे शरीर में भी विविध रंगों की विद्युत किरणें होती हैं। अतः जिस रंग की कमी हमारे शरीर में होती है, सूर्य के सामने जल डालने यानी अर्घ्य देने से वे उपयुक्त किरणें हमारे शरीर को प्राप्त होती हैं।
चूंकि आंखों की पुतलियां काली होती हैं, जहां से कि सूर्य किरणें वापस नहीं लौटतीं अतः वह कमी पूरी हो जाती है। वैज्ञानिकों द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि सूर्य की किरणों का प्रभाव जल पर अतिशीघ्र पड़ता है, इसलिए सूर्य को अभिमंत्रित जल का अर्घ्य दिया जाता है।