सरहद पे है तनाव और मुलुक में है चुनाव

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मुलुक तो हमेशा ईच सबका ऊप्पर है, पन अबी मुलुक परस्ती, बोले तो देशभक्ति सुपर डुपर है। क्या तो हो गया भाय, बोले तो अबी तो बोलना ईच शुरु किया था, बोले तो हाऊ इज द जोश! अबी निकले ईच थे देख के फिलिम ‘उरी’ और वो भाई लोक पुलवामा में चला दिए दिल पे छुरी। तो फिर तो ये होने कू ईच था, बोसे तो राम, राफेल और बेरोजगारी बन गएले रेजगारी।।

बावा, अनुन लोक तो अपुन के गांधी बाबा के अमन अहिंसा के, बोले तो पीसफुल लोक हैं। भोत टाइम पे तो अपुन दूसरा गाल बी आगे कर देता है, पन कोई दिमाग की नस कू जास्ती ईच खींच देता है, तो अपुन के इदर का अनपड़ आदमी बी गीता पड़ने कू लगता है, क्या! तो अबी क्या है ना भाय, बोले तो इमोशनल बर्स्ट है, बोले तो इंडिया फर्स्ट है, बाकी सब वर्स्ट है।

मुलुक तो हमेशा ईच सबका ऊप्पर है, पन अबी मुलुक परस्ती, बोले तो देशभक्ति सुपर डुपर है। क्या तो हो गया भाग्य, बोले तो अबी तो बोलना ईच शुरू किया था, बोले तो हाऊ इज जोश! अबी निकले ईच थे देख के फिलिम ‘उरी’ और वो भाई लोक पुलवामा में चला दिए दिल पे छुरी। तो फिर तो ये होने कू ईच था, बोले तो राम, राफेल और बेरोजगारी बन एगले रेजगारी। अबी तो बस, एक ईच बात थी बदला और अपुन की फोर्स ने लिया भाय बदला। एक बार फिर था उनका इलाका और अपुन का धमाका, बोले तो अलस्सुबे सुबे नींद में डूबे दहशत के अजूबे।

क्या है ना, वो अपुन को नेबर, बोले तो भोत जबर है भाय। खुद के घर में ढेकूण, बोले तो खटमल और कीड़े-बांदे पालता है और इलम से अपनु के घर में डालता है और अपुन की लाइफ का अमन-चैन बिगाड़ता है। अपुन उसकू भोत टाइम बोला, बस क्या भाय, कबी तकल चलेंगी तेरी ये चिल्लमचिल्ली, पन वो मानने कू ईच नई होता और बोलने कू लगता है, ‘कौन बोला? पएला सबूत दो, तबी अपुन कुच करेंगा।’ भोत टाइम सबूत बी दिया, पन वो करने कू बी क्या सकता है, बोले तो मुजरिम खुद कू सजा सुनाएंगा क्या!

तो ये टाइम अपनु खुद ईच उसकी खोली में घुस के सिरिप पेस्ट कंट्रोल किया भाय, बस और बता दिया, बोले तो अब देख ले सबूत। पन वो बी देड शाणा है, फोकट की इज्जत का दीवाना है, पएला बोलने कू लगा, किदर क्या किया! तुम घर में घुस के किदर बी दवा स्प्रे करके चला गया, बस। बाद में बोलने कू लगा, ‘तुम अपुन के घर में घुसा कैसे, अबी अपुन बी देखेंगा।’ अपुन री बात सुन के अपुन का सलीम पानी बोलने कू लगा, ‘भिडू माहोल कू तौल, पिर मुंह खोल, बोले तो अबी हर कोई गिखा रएला है ताव, बोले तो सहम गएला बै अक्खा गांव, सई ये बी है, बोले तो सरहद पे है तनाव और मुलुक में है चुनाव, किदर गुम हो गई है अमन की छांव, दहशत की आग में जल रएले है इंसानियत के पांव, पन कोई-कोई लोक खेल रएले हैं सियासी दांव।’

पानी उबलने कू लगा है। बोलने कू लगा, ‘तू देखा ना, टीवी पे किदर फौज की वरदी में एंकरिंग और फिर बोलचन की हवाई फायरिंग, बोले तो’ जबी तलक तोड़ेंगे नई, तबी तलक छोड़ेगे नई। वो वरदी जानता है भिड़ बोले तो, जिसने देखी नई कबी कोई गरमी सरदी और मुलुक का वास्ते अपुन की जान कुरबान कर दी। मुलुक सरहद से बनता है और सरहद पे फौजी लड़ता है। उनका सीना इंच में नई, खून की धार में नपता है। अपुन सब साथ है, पन जंग खाली फोकट की बात है। अपुन कू दशतगर्दी कू देने का था, जवाब, अपुन क्या बोलता है भिडू, बोले तो फिर नाक का उप्पर चला गया हो पानी, पन तबी बी जंग है बेमानी। अबी अपुन की जंग तो अपुन के ईच साथ है, बोले तो अपुन अबी कैदी है अपुन के ईच हालात की हवालात का।

लेखक
अवधेश व्यास

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