संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी

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श्रीगणेश-अर्चना से होगा संकटों का निवारण मिलेगी सुख-समृद्धि
चन्द्रोदय होगा रात्रि 10 बजकर 22 मिनट पर

भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में विशिष्ट माह की विशिष्ट तिथियों के दिन समस्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना एवं व्रत करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि भक्तिभाव श्रद्धा के साथ व्रत उपवास रखकर पूजा-अर्चना करने पर मनोरथ की पूर्ति होती है, साथ ही समस्त संकटों का निवारण भी होता है। इसी क्रम में प्रथम पूज्य देव भगवान श्रीगणेशजी की पूजा-आराधना करने पर संकटों का निवारण होता है तथा खुशहाली का मार्ग पशस्त होता है। प्रत्येक माह के चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत रखा जाता है। इस बार यह सोमवार 22 अप्रैल को रखा जाएगा। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि इस बार चैत्र कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि सोमवार 22 अप्रैल को दिन में 11 बजकर 25 मिनट पर लगेगी जो कि अगलवे दिन मंगलवार 23 अप्रैल को दिन में 11 बजकर 04 मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय सोमवार, 22 अप्रैल को रात्रि 10 बजकर 22 मिनट पर होगा। जिसके फलस्वरूप संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत सोमवार 22 अप्रैल को रखा जाएगा। चन्द्रमा के बिम्ब में भगवान श्रीगणेश जी की भावना मानी जाती है, इसलिए चन्द्र उदय होने के पश्चात विधि-विधानपूर्वक चन्द्रमा को अर्घ्य देकर उनकी पूजा-अर्चना करने का विधान है।

श्री गणेश
भगवान श्री गणेश

ऐसे रखें व्रत – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि व्रत के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर समस्त दैनिक कार्यों से निवृत्ति होना चाहिए। स्नान-ध्यान करके अपने अराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के पश्चात संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन सायंकाल पुनः स्नान करके श्रीगणेश जी की पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेश जी को दूर्वा एवं मोदक अति प्रिय है, अतएव दूर्वा की माला, ऋतुफल, मेवे एवं मोदक अवश्य अर्पित करना चाहिए।

ऐसे होगी मनोकामना की पूर्ति – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि श्रीगणेशजी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए उनकी महिमा में यश गान, श्रीगणेश स्तुति, संकटनाशक श्रीगणेश स्तोत्र सहस्त्रनाम, श्रीगणेश चालीसा का पाठ करना चाहिए एवं श्रीगणेश जी से सम्बन्धित मंत्र-स्तोत्र आदि जो भी सम्भव हो अवश्य किया जाना चाहिए। व्रत के दिन व्रतकर्ता को दिन में शयन नहीं करना चाहिए तथा निन्दा एवं व्यर्थ की वार्तालाप से भी बचना चाहिए। जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली के अनुसार ग्रहों का शुभ फल नहीं मिल रहा हो उन्हें आज के दिन व्रत उपवास रखकर प्रथम पूज्यदेव श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए। जिन्हें जीवन में संकटों का समाना करना पड़ रहा हो, उन्हें भी आज विधि-विधानपूर्वक श्रीगणेश जी की पूजा-अराधना करनी चाहिए। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से सुख-समृद्धि, खुशहाली के साथ ही सर्व संकटों का निवारण का मार्ग प्रशस्त होता है।

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