संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी

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श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना से होगा संकटों का निवारण मिलेगा सुख-समृद्धि, खुशहाली
चन्द्रोदय : रात्रि 08 बजकर 57 मिनट पर

भारतीय संस्कृति में समस्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना एवं व्रत की विशेष महिमा है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में पंचदेवों में प्रथम पूज्य देव भगवान श्रीगणेशजी को सर्वोपरि माना जाता है। हर शुभ आयोजन एवं धार्मिक व मांगलिक कार्यों के प्रारम्भ में श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना सर्वप्रथम की जाती है। जीवन खुशहाली एवं संकट निवारण के लिए संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखने की धार्मिक मान्यता है। प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी बताया कि इस बार यह व्रत 22 फरवरी, शुक्रवार को रखा जाएगा। फाल्गुन कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि 22 फरवरी, शुक्रवार को प्रातः 10 बजकर 50 मिनट पर लगेगी जो कि अगले दिन 23 फरवरी शनिवार को प्रातः 8 बजकर 11 मिनट तक रहेगी। चन्द्रोदय रात्रि 8 बजकर 57 मिनट पर होगा। फलस्वरूप 22 फरवरी, शुक्रवार को संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। चन्द्र उदय होने के पश्चात विधि-विधानपूर्वक चन्द्रमा को अर्घ्य देकर उनकी पूजा-अर्चना की जाएगी।

पूजा का विधान – प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी बताया कि संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत के दिन प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर अपने समस्त दैनिक कृत्यों से निवृत्त होना चाहिए। पत्पश्चात अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करने के उपरान्त अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। सम्पूर्ण दिन निराहार रहते हुए व्रत के दिन सायंकाल पुनः स्नान करके श्रीगणेश जी की पंचोपचार या षोडशोपचार पूजा-अर्चना करनी चाहिए। श्रीगणेशजी को दूर्वा एवं मोदक अति प्रिय है, अतएव दूर्वा की माला, ऋतुफल, मेवे एवं मोदक अवश्य अर्पित करने चाहिए।

इस पाठ से होगी मनोकामना की पूर्ति – प्रख्यात ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी के मुताबिक श्रीगणेश जी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए श्रीगणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्त्रनाम, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष, श्रीगणेश चालीसा एवं संकटनाशक श्रीगणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए तथा श्रीगणेश जी से सम्बन्धित विविध मंत्रों का जप भी करना चाहिए। जिन व्यक्तियों की जन्मकुण्डली के अनुसार केतु ग्रह की महादशा, अन्तर्दशा और प्रत्यन्तरदशा में अनुकूल फल न मिल रहा हो तो संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के दिन व्रत उपवास रखकर सर्वविघ्न विनाशक प्रथम पूज्यदेव भगवान श्रीगणेशजी की पूजा-अर्चना करके लाभ उठाना चाहिए। जिन्हें अपने जीवन में संकटों का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें भी आज के दिन श्रीगणेश जी का दर्शन-पूजन करके व्रत रखना चाहिए। श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत महिला-पुरुष तथा विद्यार्थियों के लिए समानरूप से फलदायी है। संकष्टी श्रीगणेश चतुर्थी के व्रत से सर्व संकटों का निवारण होता है साथ ही सुख-समृद्धि में अभिवृद्धि होती है।।

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