शनिवार के दिन श्रीहनुमान जन्मोत्सव का अनूठा संयोग श्रीहनुमद् आराधना से होगी सभी मनोकामनाएँ पूरी
‘रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥’ वानरराज केसरी और माता अंजनीदेवी के पुत्र भगवान् श्री हनुमान जी का जन्म महोत्सव वर्ष में दो बार मनाने की पौराणिक मान्यता है। प्रथम चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि तथा द्वितीय कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है। हनुमान जयन्ती के पर्व पर श्रीहनुमानजी की भक्तिभाव, श्रद्धा व आस्था के साथ पूजा-अर्चना करने का विधान है। प्रख्यात ज्योर्तिविद् श्री विमल जैन ने बताया कि इस बार चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि शुक्रवार, 11 अप्रैल की अर्द्धरात्रि के पश्चात् 3 बजकर 22 मिनट पर लगेगी, जो कि शनिवार, 12 अप्रैल को अर्द्धरात्रि 5 बजकर 41 मिनट तक रहेगी।
व्रत की पूर्णिमा शनिवार, 12 अप्रैल को होगा, जबकि स्नान दानादि की पूर्णिमा रविवार, 13 अप्रैल को रहेगा। इस बार हस्त नक्षत्र शुक्रवार, 11 अप्रैल को दिन में 3 बजकर 11 मिनट से शनिवार, 12 अप्रैल को सायंकाल 6 बजकर 08 मिनट तक रहेगा, तत्पश्चात् चित्रा नक्षत्र लग जाएगा। श्रीहनुमान जयन्ती का पावन पर्व शनिवार, 12 अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। शनिवार के दिन हनुमान जन्मोत्सव होने से यह पर्व और भी शुभ पुण्य फलदायी हो गया है। इस दिन व्रत उपवास रखकर श्रीहनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है।
श्रीहनुमानजी की पूजा का विधान – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए तथा श्रीहनुमान जी के विग्रह को चमेली के तेल या शुद्ध देशी घी एवं सिन्दूर से श्रृंगारित करके विभिन्न पुष्पों व तुलसी दल की माला से सुशोभित करना चाहिए।
नैवेद्य में बेसन व बूंदी का लड्डू, पेड़ा एवं सिन्दूर से श्रृंगारित करके विभिन्न पुष्पों व तुलसी दल की माला से सुशोभित करना चाहिए। नैवेद्य में बेसन व बूंदी का लड्डू, पेड़ा एवं अन्य मिष्ठान्न व भींगा हुआ चना, गुण तथा नारियल एवं ऋतुफल आदि अर्पित कर तत्पश्चात् धूप-दीप के साथ उनकी विधि-विधानपूर्वक पूजा-अर्चना करके श्रीहनुमानजी की आरती करनी चाहिए। भगवान श्रीहनुमानजी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए ‘ॐ श्री हनुमते नमः’ मन्त्र का जप तथा रात्रि जागरण करना चाहिए। उनकी महिमा में विभिन्न स्तुतियां, श्री हनुमान चालीसा, श्री सुंदरकांड, श्री हनुमत् सहस्त्रनाम, श्रीरामचरित मानस का पाठ करना चाहिए। साथ ही श्रीहनुमानजी से सम्बन्धित मंत्रों का जप आदि करना लाभकारी रहता है। आज के दिन व्रत रखकर भगवान श्री हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त की जा सकती है।
पौराणिक मान्यता – ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि श्रीहनुमान जी के विराट स्वरूप में इन्द्रदेव, सूर्यदेव, यमदेव, ब्रह्मदेव, विश्वकर्मा जी एवं ब्रह्मा जी की शक्ति समाहित है।
शिवमहापुराण के अनुसार पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, अग्नि व यजमान – ये आठ रूप शिवजी के प्रत्यक्ष रूप बतलाए गए हैं। श्रीहनुमान जी ब्रह्म स्वरूप भगवान शिव के ग्यारहवें अंश के रुद्रावतार भी माने गये हैं। श्रीहनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। ज्योतिषविद् श्री विमल जैन जी ने बताया कि एकाक्षर कोश के मतानुसार हनुमान शब्द का अर्थ है-‘ह’ शिव, आनन्द, आकाश एवं जल। ‘नु’ पूजन और प्रशंसा। ‘मा’ श्रीलक्ष्मी और श्रीविष्णु। ‘न’ बल और वीरता। भक्त शिरोमणि श्रीहनुमान जी अखण्ड जितेन्द्रियता, अतुलित बलधामता, ज्ञानियों में अग्रणी आदि अलौकिक गुणों से सम्पन्न होने के कारण देवकोटि में माने जाते हैं।
विशेष – जिन्हें जन्मकुण्डली के अनुसार शनिग्रह की दशा, महादशा अथवा अन्तर्दशा का प्रभाव हो तथा शनिग्रह की अढैया या साढ़ेसाती चल रही हो, उन्हें आज के दिन श्रीहनुमानजी का दर्शन-पूजन करके व्रत रखना चाहिए। आज के दिन व्रत रखने से भगवान श्री हनुमान जी की विशेष कृपा तो मिलती ही है साथ ही सर्वसंकटों का निवारण होता है जैसा कि श्रीहनुमान चालीसा में वर्णित है- संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलवीरा ॥ ऐसी मान्यता है कि भक्तशिरोमणि श्रीहनुमान जी अपने भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।