आजादी की वर्षगांठ सिर्फ मनाने के लिए नहीं आती। यह आजादी जिन क्रांतिकारियों के बलिदान की बदौलत हमे हासिल हुई है उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए आती है। इन वर्षों में देश ने काफी उतार चढ़ाव देखा है। अपनी संसदीय राजनीती ने बदलते समय के साथ परिपक्वता का परिचय दिया है। भिन्नता के सवाल जरूर कभी कभार लोकतान्त्रिक परिवेश में चुनौतीपूर्ण लगे हैं लेकिन उससे भी अंत में सर्वंमति उभरी है। यही हमारे भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है। आजादी के सफर में बहुत कुछ याद करने को है। भगत सिंह , चंद्रशेखर आजाद ,नेताजी सुभास बाबू ,लाला लाजपत राय और लोक मान्य तिलक की शानदार यादे हमे रोमांचित और गौरवान्वित करती है। महात्मा गांधी की भूमिका देश देशांतर में तब तो प्रासंगिक थी ही वर्तमान में भी उसकी विश्वव्यापी अहमियत बरकरार है।
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर मौजूदा दौर में नरेंद्र मोदी तक विकास की एक शानदार कहानी है इसे जानने और समझने की जरूरत है क्योंकि जिस तरह देश के प्रति आम सरोकार पर स्वार्थपरता की परत दर परत चढ़ती जा रही है उसे हटाने का भी यह खास दिन साबित हो सकता है इसलिए इस दिन छुट्टी नहीं अपनी अब तक की भूमिका का जागृत करने के लिए आजादी की वर्षगांठ का उपयोग किया जा सकता है। इस लिहाज से नागरिक के तौरपर यह खुद के दायित्व की पड़ताल का भी दिन है। इसके अलावा भी यह पहला मौका है जब जम्मू कश्मीर से विशेष दर्जा खत्म कि ये जाने के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा की एक अलग आभा के दर्शन होंगे। बस उम्मीद यही है जम्मू कश्मीर में जल्द से जल्द हालात सामान्य हों।
जम्मू-कश्मीर में पहली बार इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जाएगा। यह पहली बार होगा जब निवेश को आकर्षित करने के लिए इतने बड़े कार्यक्रम का आयोजन करने की योजना बनाई गई हो। इन्वेस्टर समिट का आयोजन 12 से 14 अक्टूबर के बीच होगा। तरक्की की राह पर बढ़ेगा जम्मू-कश्मीर। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद अब वहां निवेश को बढ़ावा देने के लिए बड़ी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की तैयारी की जा रही है। यही तो देश की चाहत है देश के विकास के साथ जम्मू कश्मीर और लद्दाख भी साझीदार बनें।
बीते सात दशकों में धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर को आखिर क्या मिला सिवाय दशहतगर्दी के । कश्मीर के नौजवान जिन्हें रोजगार चाहिए, विकास के रास्ते पर दौड़ते हुए दिखना चाहिए था वे देश की अस्मिता के लिए खतरा साबित हो रहे थे। यह इमेज बन रही थी अब बदलाव के साथ चीजें भी नए सिरे से सामने होंगी। इन्वेस्टर्स मीट से अवसर बढ़ेंगे और उम्मीद को नया आसमान मिलेगा।जहां तक देश के भीतर या बाहर की बात है तो इससे मौजूदा सत्ता लड़ रही है, हो सकता है कुछ शुरुवाती दिक्कतें पैदा हों लेकिन उम्र लम्बी नहीं रहनी यह तो है और यही इस सबसे बड़े लोक तान्त्रिक देश की ताकत है।