शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद, मिश्री चढ़ाकर करना चाहिए, महामत्युंजल मंत्र का जाप

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अभी शिवजी का प्रिय सावन माह चल रहा है। इस माह में शिजी की पूजा करने से भक्त की सभी इच्छाएं पूरी हो सकती है। अगर किसी व्यक्ति को अनजान भय सताता है तो उसे महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है। जानिए इस मंत्र के जाप में कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखना चाहिए…

ये है महामृत्युंजय मंत्र – ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धनम्। उर्वारूकमिव बन्धमान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात।।
मंत्र का सरल अर्थ- हम तीन नेत्र वाले भगवान शिव की पूजा करते हैं, शिवजी ही हर प्राणी में शक्ति संचार करते हैं। शिवजी ही पूरी सृष्टि का पालन-पोषम करते हैं। महादेव से हम प्रार्थना करते हैं कि वे हमें मृत्यु के संबंधों से मुक्त करें और मोष प्रदान करें।

मंत्र जाप करने वाले भक्तों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए

* मंत्र जाप करने वाले व्यक्ति को रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए। स्नान आदि कमों के बाद किसी शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवजी की पूजा करें।

* पूजा में शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और फिर पांचामृत अर्पित करें। पंचामृत दूध, दही, घी, शहद, मिश्री को एक साथ मलाकर बनाया जाता है। पंचामृत चढ़ाने के बाद एक बार फिर से जल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं। वस्त्र अर्पित करें।

* शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र, धतूरा अर्पित करें। हर-फूल आदि चींजे भगवान को चढ़ाएं। कर्पूर जलाकर आरती करें।

* इस प्रकार पूजा करने के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। जाप कम से कम 108 बार करें। इसके लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करें। ध्यान रखें मंत्र का उच्चारण एकदम सही होना चाहिए।

* शिवजी के भक्त को सभी प्रकार के गलत कामों से बचना चाहिए। कभी भी मता-पिता या किसी अन्य वृद्ध का अपमान न करें। आधार्मिक कामों से बचें।

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