शानदार जीत की चुनौतियां

0
273

लोकतंत्र में अभूतपूर्व जीत के अवसर कम आते है, पर आने पर चुनौतियां भी बड़ी लाते हैं। 2019 आम चुनाव के नतीजों से यह बात साफ हो गयी है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर वोटरों को अपनी बात समझाने में सफल हुए हैं। इस लिहाज से विपक्ष वोटरों की नब्ज पकड़ने में नाकाम साहित हुआ। मोदी की जीत का विश्लेषण तो यू अभी हफ्तों चलेगा। तरह-तरह के तर्क अभी सामने आएंगे। लेकिन इस बड़ी जीत के बाद यह कहना अब नहीं चलेगा कि बीते पांच सालों में जमीन पर कोई काम नहीं हुआ। ठीक है कि बेरोजगारी के सवाह हल होने के बजाय इसलिए और गहरे हो गए कि नोटबंदी से समानांतर चल रही अर्थव्यवस्ता को धक्का पहुंचा और इससे निचले स्तर पर लाभ पा रही एक बड़ी जमात का काम छिन गया, वे सड़कों पर आ गये या फिर अपने गांव लौट गए।

हालांकि मोदी सरकार का इरादा अपारम्परिक अर्थव्यवस्था को मुख्य धारा से जोड़कर जवाहदेह बनाने का था, जो आधी-अधूरी तैयारी और बैंक तंत्र की खामियों को भेंट चढ़ गया। कृषि संकट के समाधान की कोशिशें अपेक्षा के अनुरुप नहीं रहीं, इसे लेकर भी मोदी सरकार से शिकायत रही है, लेकिन जैसा कि खुद मोदी ने बड़ी जीत के बाद कार्यकर्ताओं से रूबरू होते हुए भरोसा दिलाया कि उनसे काम करते वक्त गलती हो सकती है लेकिन उसकी वजह बदनीयती नहीं हो सकती। शायद उन्हें ऐसा कहते वक्त नोटबंदी के बाद उपजी समस्याओं और चुनौतियों का एहसास घनीभूत रहा हो। जीएसटी को लागू करने से खासकर छोटे व्यापारियों को कितनी दिक्कतों से जूझना पड़ा यह सर्वज्ञाता है। युवाओं को रोजगार देने के सवाल भी अभी तक हल नहीं हुआ है, तब भी भाजपा अपने दम पर तीन सौ पार आंकड़ा छूती है तो कोई वजह तो होगी। वोटरों को कुछ तो जमीन पर होते दिखा होगा। इस तरह के जनमत का सीधा मतलब है शहर, गांव और कस्बों के खांचे टूटे हैं।

कभी शहरी क्षेत्र की पार्टी को रूप में जानी जाने वाली भाजपा को सभी जगह के वोटरों ने एक-सा प्यार दिया है। इसका मतलब जिस उज्जवला योजना, सौभाग्य योजना प्रधानमंत्री आवास योजना और आयुष्मान भारत योजना को लेकर विपक्ष सवाल खड़े करता रहा है, उनका लाभ लोगों तक पहुंचा है। जिन्हें उसका लाभ मिला उनके लिए तो मोदी सरकार बहुत अच्छी है। इसी तरह सीमांत कृषकों को छह हजार रुपये का सालाना अनुदान विपक्ष के प्रयासों पर भारी पड़ गया। अब ईवीएम और चुनाव आयोग पर ठीकरा फोड़ने के सवाल बेमानी हैं। मायावती ने एक बार फिर लोकतंत्र को ईवीएम के जरिये हैक करने की बात कही है। इस सबके बीच अब दूसरे कार्यकाल में दो बड़ी चुनौतियां है पहली गरीबी उन्मूलन की चल रही योजनाओं की रफ्तार दोगुनी करनी होगी। दूसरी बड़े पैमाने पर कृषि आधारित उद्योगों की एक बड़ी श्रृंखला शुरू करनी होगी ताकि लोगों के जहां है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here